राजीव लोचन साह

घोर विपरीत परिस्थितियों में आर्थिक कठिनाइयों से जूझते हुए छब्बीस वर्ष तक उत्तराखण्ड के प्रतिनिधि पाक्षिक का अविरल प्रकाशन। स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी पत्रकारिता में एक रिकार्ड जैसा है। डॉ. शेखर पाठक, गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’ व डॉ. शमशेर सिंह बिष्ट के साथ उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक चतुर्भुज बना और हरीश पंत व महेश जोशी जैसे मजबूत स्तम्भ मिले। सैकड़ों मित्रों के सहयोग से इस लगभग असंभव कार्य को सम्पन्न करने में मदद मिली।

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