केदार सिंह कुंजवाल

स्कूली शिक्षा के बाद सर्वोदय से जुड़ गए| जयप्रकाश नारायण, अन्ना सहस्रबुद्धे, सुरेश राम भाई, विमला ठकार, करण भाई जैसे सर्वोदयी कार्य कर्ताओं के सानिध्य में रहने का अवसर प्राप्त हुआ। 1957 में मिर्जापुर जाकर आदिवासी क्षेत्रों में पांच वर्ष में समाजसेवा का कार्य किया। इस दौरान आचार्य विनोवा भावे के संपर्क में आए और अनेक पदयात्राएँ कीं। 1963 में गांधी स्मारक निधि से जुड़े। 1964 में ग्राम स्वराज्य मंडल कुंज जैंती की स्थापना देवकी कुन्जवाल के साथ की। उत्तराखण्ड में शराबबंदी, वन बचाओ आदि आन्दोलनों में भागीदारी। उत्तरा निर्धूम चूल्हे का विकास, बागेश्वरी चर्खे को नया रूप दिया जिसे ‘कर्मयोगी चर्खा’ नाम दिया गया।

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