गोविन्द सिंह रजवार

जिला मजिस्ट्रेट, उत्तरकाशी द्वारा विशिष्ट शिक्षण सेवा हेतु प्रशस्ति पत्र। अंतर्राष्ट्रीय वनस्पति विज्ञान कांग्रेस, बर्लिन (जर्मनी) द्वारा प्रतिभाशाली युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार। सदस्य, केन्द्रीय समिति, अंतर्राष्ट्रीय हेड वाटर परिषद (यूरोप)। मेरानो (इटली) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन के एक सत्र की अध्यक्षता तथा शोधपत्रों का संपादन। पर्यावरण जागरूकता एवं पारिस्थितिकी शोध के लिए ‘एक्शन फॉर सस्टेनेबल एफीकेसियस’ तथा ‘पर्यावरण जागरूकता समिति’ द्वारा अतिविशिष्टता पुरस्कार। हिमालयी जैव-विविधता के विशेषज्ञ के रूप में भारत सरकार द्वारा बनायी सूची में सम्मिलित. अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका ‘जर्नल आफ ट्रौपिकल फॉरेस्ट साइंस रिसर्च’ के सलाहकार संपादक.

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आदित्य नारायण पुरोहित

वनस्पति विज्ञान तथा उच्च हिमालयी औषधि पौधों पर विशिष्ट काम। पंजाब वि.वि., चण्डीगढ़ में वनस्पति विज्ञान विभाग में शोध अधिकारी रहे। नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी, शिलांग तथा गढ़वाल वि.वि. में अध्यापन। गोविन्द बल्लभ पंत हिमालयी पर्यावरण तथा विकास संस्थान के निदेशक तथा कोसी-कटारमल स्थित परिसर के निर्माता। गढ़वाल वि.वि., श्रीनगर में हाई एल्टिट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च लैबोरेट्री तथा तुंगनाथ में फील्ड स्टेशन की स्थापना। इंस्टीट्यूट आफ बायलौजी, लन्दन के निर्वाचित सदस्य हैं। गढ़वाल वि.वि. के कार्यवाहक कुलपति भी रहे। ‘इन्टरनेशनल जर्नल आफ सस्टेनेबिल फारेस्ट्री’ के सम्पादक मण्डल के सदस्य हैं। अनेक शोध पत्र तथा पुस्तकों के लेखक। कई संस्थानों के सदस्य, विशेषज्ञ सदस्य, संयोजक और अध्यक्ष हैं। आपको एफ.एन.ए. का सम्मान भी मिला है।

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यशपाल सिंह पांगती

कुमाऊँ क्षेत्र की वानस्पतिक तथा पारिस्थितिक अध्ययनों में विशेष योगदान। 125 शोध पत्र प्रकाशित। सात किताबों के सह लेखक। 22 शोध छात्रों का निर्देशन। अनेक शिष्य उच्च संस्थाओं तथा विश्वविद्यालयों में महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।

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