त्रिलोक सिंह पपोला

लखनऊ वि.वि., सरदार पटेल इंस्टटीट्यूट ऑव इकोनामिक एण्ड सोशल रिसर्च अहमदाबाद तथा बम्बई विश्वविद्यालय में शोध तथा शिक्षण कार्य। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव मैनेजमेंट अहमदाबाद में प्रोफेसर। 1977 से 1987 तक गिरि इंस्टीट्यूट ऑव डवलपमेंट स्टडीज, लखनऊ के संस्थापक निदेशक/प्रोफेसर। 1987 से 1995 तक योजना आयोग के वरिष्ठ परामर्शी तथा सलाहकार। 1995 से 2002 तक ICIMOD काठमाण्डू में माउण्टेन इंटरप्राइजेज एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर डिविजन के प्रमुख। सम्प्रति- इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट, दिल्ली में प्रोफेसर। कैम्ब्रिज वि.वि. UNCTAD जिनेवा, ILO , UNDP, UNICEF,UNIDO आदि से भी सम्बन्धित रहे। अनेक चर्चित शोध पत्रों तथा पुस्तकों के लेखक और अनेक बार पुरस्कृत।

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देवी दत्त पन्त

आगरा कालेज, आगरा में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता पद से शिक्षण कार्य प्रारम्भ। बी.आर. कालेज आगरा में प्रोफेसर। डी.एस.बी. कालेज नैनीताल में प्रोफेसर/प्रधानाचार्य। शिक्षा निदेशक उ.प्र। डीन, कॉलेज आफ बेसिक साइंसेज, पंतनगर कृषि वि.वि.। संस्थापक कुलपति कुमाऊँ वि.वि.। 1998 तक एमेरिटस प्रोफेसर, कुमाऊँ वि.वि.। 1969 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से शैक्षणिक अनुभवों हेतु अमेरिका यात्रा, 1982 तथा 1984 में राकविले में फोगेटी विजिटिंग फेलो। वि.अ.आ. के अतिरिक्त उ.प्र. सरकार, भारत सरकार, एन.सी.ई.आर.टी. आदि के लिए विज्ञान शिक्षा हेतु अनेक अभिनव प्रयोग व सहयोग। डी.एस.बी. कॉलेज में प्रकाश भौतिकी प्रयोगशाला की स्थापना; यूरेनाइल साल्ट्स पर अपने शोधछात्र डी.पी. खण्डेलवाल के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित शोधकार्य किया। सम्पूर्ण शैक्षिक जीवन में 21 छात्रों का शोध निर्देशन किया; इनमें से अधिकांशतर छात्र कालांतर में दुनिया की महत्वपूर्ण प्रयोगशालाओं में उच्च पदों पर आसीन हुए। अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्रिकाओं में 200 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित। फुलब्राइट फैलोशिप (अमेरिका)। आगरा वि.वि. का विशेष शोधपुरस्कार। रमन सेन्टेनरी इंटरनेशनल गोल्ड मेडल। आसुंदी सेन्टेनरी इंटरनेशनल अवार्ड। सिग्मा साई (अमेरिका) तथा भारतीय विज्ञान अकादमी के फेलो।

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एच.एस. कप्रवान

यू.एन.डी.पी. में सलाहकार रहे। रक्षा अनुसंधान में अतिरिक्त निदेशक।युवाओं के नाम संदेशः उच्च शिक्षा ग्रहण करें। तथा अपने राज्य व देश का नाम रोशन करें।

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पवन कुमार गुप्ता

1976 के बाद लगभग 11-12 साल उद्योग/व्यापार करने के बाद 1989 से सामाजिक कार्य। ‘सिद्ध’ संस्था की स्थापना। शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयोग। लेखन (जनसत्ता के लिए नियमित रूप में)। हिमालय रैबार नामक पत्रिका का पिछले 9 सालों से सम्पादन। युवाओं के बीच विचार देने/बनाने का काम।

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