तो, बस जाएंगे जाकर कहीं और…

विश्वविख्यात वैज्ञानिक स्टीफेन हॉकिंग की राय मानें तो मानव जाति को अपना अस्तित्व बचाने के लिए अब ग्रह-उपग्रहों पर बसने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। मानव की अपनी करतूतों से धरती का जो हाल बेहाल होता चला जा रहा है, उसे देख कर लगता नहीं कि हमारा यह निराला ग्रह कुछ सदियों के बाद रहने लायक रह जाएगा। जीने के लिए जो कुछ प्रकृति ने दिया था, उसे हम विकास की बेतहाशा दौड़ में बर्बाद करते जा रहे हैं। हवा में दिन ब दिन और अधिक जहर घुल रहा…

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नीला कुरिंजी

दोस्तो, बताओ तो जरा फूल कब खिलते हैं? साल भर? चलो मान लिया साल भर खिलते हैं। लेकिन, कौन-सा फूल कब खिलता है? कुछ फूल गर्मियों में खिलते हैं, कुछ वर्षा ऋतु में, कुछ सर्दियों में और बहुत सारे फूल वसंत ऋतु में। ठीक है? लेकिन, एक फूल ऐसा भी है जो 12 वर्ष बाद खिलता है। सन् 2006 में वह दक्षिण भारत के कोडइकनाल, नीलगिरी, अन्नामलाई और पलनी की पहाड़ियों में 12 वर्ष बाद खिला। अगस्त से दिसंबर तक तमिलनाडु में क्लावररई से केरल में मुन्नार के पास वट्टावडा…

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दीमक

चलो दोस्तो, इस भीषण गर्मी में चलते हैं दीमकों के ठंडे-ठंडे कूल-कूल वातानुकूलित घर में। वह दीमकों की बांबी कहलाता है। और, उसमें एक-दो सौ नहीं कभी-कभी तो लाखों दीमकें रहती हैं। बांबी में उनकी पूरी बस्ती बसी रहती है। तुमने कभी दीमकों की बांबी देखी हैं? अगर देखी है तो तुमने यह भी देखा होगा कि वह चारों ओर से बंद रहती हैं दीमकों का शरीर बहुत ही कोमल होता है। बांबी में बाहर की गर्म हवा घुस जाए तो दीमकें सूख कर मर जाएंगी। इसलिए वे अपने घर…

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परीकथाओं से विज्ञान कथाओं तक

दोस्तो, चलो परियों की बातें करते हैं। हंसती, खिलखिलाती सुंदर परियों की। सोन परी, नील परी, लाल परी! अच्छा बताओ, तुम्हें कहां मिलती थीं वे परियां? परी कथाओं में? हमने अपनी आंखों से उन्हें कभी नहीं देखा, लेकिन जब भी कोई परी कथा पढ़ी तो वे हमारे मन के ऊंचे आसमान में उड़ने लगीं। हमारे मन के आसमान में उड़ने के लिए इन्हें किसने भेजा? मां ने, नानी ने या शायद दादी ने। और, परियों की कथा लिखने वाले हमारे प्रिय लेखकों ने। इन सबने परियों की मजेदार कहानियां गढ़ीं।…

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डॉक्टर डी. डी. पंत

घर के माली हालात आगे पढ़ने की इजाजत नहीं देते थे। तभी पिता के एक मित्र बैतड़ी (सीमापार पश्चिमी नेपाल का एक जिला) के एक संपन्न परिवार की लड़की का रिश्ता लेकर आए। पिता-पुत्र दोनों को लगा कि शायद यह रिश्ता आगे की पढ़ाई का रास्ता खोल दे। इस तरह इंटरमीडिएट के परीक्षाफल का इंतजार कर रहे देवीदत्त पढ़ाई जारी रखने की आस में दांपत्य जीवन में बंध गए। इंटरमीडिएट के बाद देवी दत्त ने बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी में दाखिला लिया। यहां उन्होंने भौतिकविज्ञान में मास्टर्स डिग्री पाई। ख्यातिनाम विभागाध्यक्ष प्रो. आसुंदी को इस प्रतिभाशाली छात्र से बेहद स्नेह था। देवी उन्हीं के निर्देशन में पीएच डी करना चाहते थे। प्रो. आसुंदी ने वजीफे के लिए तत्कालीन वाइस चांसलर डा. राधाकृष्णन से मिलने का सुझाव दिया। पन्त अर्जी लेकर राधाकृष्णन के पास पहुंचे। राधाकृष्णन स्पांडिलाइटिस के कारण आरामकुर्सी पर लेटकर काम करते थे। पन्त की अर्जी देख उनका जायका बिगड़ गया। बोले- आसुंदी आखिर कितने छात्रों को स्कॉलरशिप दिलाना चाहते हैं। हमारे पास अब पैसा नहीं है। निराश देवी दत्त वापस लौट आए। आसुंदी ने उन्हें ढाढ़स बंधाया और बेंगलूर में रमन साहब के पास जाकर रिसर्च करने को कहा। इस तरह देवराड़ी का देवी दत्त महान वैज्ञानिक सर सी.वी. रमन का शिष्य बन गया।

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Devi Dutt Pant : A Biodata

Dr. D.D. Pant was a self-made man, with a very humble background. He got his early education in a village school of Pithoragarh district and had to negotiate a distance of 50 km to the road head from his village. This is why he had a deep insight into rural problems of the Himalayan region. The ruggedness of the terrain, its inaccessibility and lop-sided development by the U.P. Govt. in Uttaranchal, his anguish and concern for the region inspired him to institute the Uttarakhand Krantidal (UKD) and mooted the idea of a separate hill state.

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आनन्द सिंह बिष्ट

एन.सी.ई.आर.टी., नई दिल्ली द्वारा 1998 व 2000 में भौतिक विज्ञान में अभिनव शिक्षण विधि के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार. राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा 1999 में राष्ट्रीय विज्ञान शिक्षक पुरस्कार. आचार्य नरेन्द्र देव शिक्षा निधि द्वारा 1998 में आचार्य नरेन्द्र देव अलंकार. विज्ञान पत्रिका ‘आविष्कार’ में अनेक मौलिक विज्ञान लेख प्रकाशित।

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