चन्द्र मोहन भण्डारी

थाईलैण्ड, नार्वे, नाईजीरिया, आस्ट्रेलिया, कोलम्बिया और कनाडा 6 देशों में काम किया। कम्बोडिया में भारत के राजदूत तथा कनाडा में काउन्सिल जनरल रहे। पुनः विदेश मंत्रालय में वापस आ गये। तीन किताबें लिखी हैं। ‘सेविंग अंगकोर’, ‘जर्नी टू हैवन’, ‘योग शक्ति’।

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लाल सिंह अधिकारी

विदेश में कार्य करते हुए नौ देशों में काम किया। तंजानिया के काउन्सिलर जनरल पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वास्थ्य लाभ हेतु अमरीका जाना हुआ। वहाँ जाकर उत्तरांचल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमरीका की स्थापना की ताकि प्रवासी उत्तराखण्डी अपनी जड़ों से जुड़ें। अतीव सफलता मिली। 350 से अधिक परिवारों को जोड़ा और यू.ए.एन.ए. आज अपनी जड़ों को किसी प्रकार सिंचित करे, यह प्रयास जारी है। बीच-बीच में पहाड़ लौट कर गढ़वाल, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों तथा विद्यार्थियों से सम्पर्क कर प्रवासियों द्वारा किस प्रकार मदद दी जा सके, इस पर चिन्तन। सूचना प्रौद्योगिकी का उत्तराखण्ड में विकास का सपना सच करने की चेष्ठा।

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