प्रताप भैय्या

उ.प्र. विधानसभा में सबसे कम उम्र का विधायक, 1957-62। उ.प्र. संविद सरकार में कैबिनेट मंत्री ;स्वास्थ्य एवं सहकारिताद्ध, 1967-68 पर्वतीय विकास परिषद के प्रथम उपाध्यक्ष, 1967-68.

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शीतांशु भारद्वाज

सन 1964-65 तक दिल्ली में ‘हिमाद्रिजा’ पत्रिका का सम्पादन। 1960 से निरंतर लेखन। अब तक राष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में लगभग 1200 कहानियां प्रकाशित। कई कहानियों का आकाशवाणी लखनऊ, चुरू व जयपुर से प्रसारण। अब तक 10 उपन्यास, 14 कहानी संग्रह तथा 9 पुस्तकें संपादित। सम्प्रति फाल्गुनी फीचर्स का संचालन।

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सच्चिदानन्द भारती

चिपको जैसे सामाजिक तथा पर्यावरण आन्दोलन के कार्यकर्ता, दूधातोली लोक विकास संस्थान, बिनसर मंदिर समिति, चन्द्र सिंह गढ़वाली स्मारक निर्माण समिति के संस्थापक- संयोजक। कीनिया की संस्था इन्वायरनमेन्टल लियाजो सेन्टर द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सेवक’ पुरस्कार। उफरैखाल क्षेत्र में वन एवं जल संरक्षण का अनूठा प्रयोग जिसने एक सूखी जलधारा के प्राण लौटा दिए। ‘जल तलाई’ नाम से चर्चित यह अभियान वर्षा जल संग्रहण के द्वारा उफरैखाल और आस पास के गांवों के जलस्रोतों का पुनर्संभरण कर सका है। वन एवं जल संरक्षण के बाद ‘ग्राम देवता’ अभियान के तहत श्रमदान द्वारा गांवों में सामूहिकता का चेतना वापस लौटाने का प्रयास।1981 में ‘बदरीकाश्रम’ नामक पुस्तक का प्रकाशन।

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कुलानन्द भारतीय

जन्मस्थान- मातृभूमि से बाहर रह कर भी दिल्ली की लाखों जनता का ढेरों प्यार मिला। जहाँ उत्तराखण्ड का कोई मतदाता नहीं था। यहीं से 5-6 चुनावों में विजयी हुआ। दिल्ली नगर निगम में शिक्षा का उपाध्यक्ष, अध्यक्ष एवं महानगर में शिक्षा मंत्री के पद पर रहा। दिल्ली में दो सीनियर सेकेन्ड्री स्कूल एवं दो माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना की। आज भी उनका संस्थापक अध्यक्ष हैं। सन् 1950 से 62 तक भारतीय विद्यालय के नाम से एक प्राइवेट कालेज का संचालन किया। स्वयं अध्यापन भी किया।

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प्रेमलाल भट्ट

हिन्दी साहित्य और गढ़वाली के अधिकारिक लेखक। 1956 में सरकारी सेवा में प्रवेश। पोस्ट एण्ड टेलीग्राफ विभाग में 1984 से 1989 तक निदेशक (राजभाषा) नियुक्त रहे। सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति, दूर संचार विभाग, भारत सरकार। हिन्दी अकादमी द्वारा ‘द्रोणाचार्य की पराजय’ उपन्यास पुरस्कृत। गढ़वाल साहित्य मण्डल के संस्थापक अध्यक्ष।

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हर्षवन्ती बिष्ट

नन्दादेवी शिखर आरोहण, 1981; एवरेस्ट अभियान, 1984 में हिस्सेदारी. 2. अर्जुन पुरस्कार (1981) तथा 1984 में; उ.प्र. उच्च शिक्षा निदेशालय का स्वर्ण पदक; गढ़वाल हिमालय में पर्यटन विकास एवं पर्यावरण पर स्व. सुनील चन्द्र फैलोशिप (2000)

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