ओम प्रकाश कुकरेती

प्रवक्ता पद पर शिक्षक की नौकरी शुरू की। बाद में नवोदय विद्यालय श्रीगंगानगर में प्राचार्य पद पर पदोन्नत। 1979. 1980 और 1982 में हरियाणा शिक्षा विभाग द्वारा उत्कृष्ठ शिक्षक का पुरस्कार। चार उपन्यास, दो कहानी संग्रह व विविध विधाओं में दर्जनों अन्य रचनाएं प्रकाशित। कहानी लेखन के लिए हरियाणा साहित्य अकादमी पुरस्कार। सन् 2000 में संयुक्त राष्ट्र संघ शांति प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित सहस्राब्दि हिन्दी सम्मेलन में राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दि सम्मान एवं पदक।

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भुवन चन्द्र जोशी

पोस्ट डॉक्टोरल फ़ैलोशिप – ब्रायन मेयर कॉलेज, पेन (अमेरिका) विजिटिंग साइंटिस्ट- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, अमेरिका तथा फुलब्राइट फ़ैलोशिप। विजिटिंग प्रोपफेसर- मारसीलेस, फ्रांस। 45 छात्रों का शोध-निर्देशन किया, 150 शोधपत्र प्रकाशित, कक्षा 11, 12 एवं बी.एससी. के विद्यार्थियों के लिए हिन्दी व अंग्रेजी में पाठ्यपुस्तकें तैयार कीं, इंडियन कैमिकल सोसाइटी द्वारा सम्मानित, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय।

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भूपेन्द्र कुमार जोशी

हिमालय तथा पर्वतों सम्बन्धी कुछेक अध्ययन। कुछ किताबें संपादित तथा शोधपत्र प्रकाशित। गिरि विकास संस्थान के निदेशक तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। अनेक विशेषज्ञ समितियों के सदस्य।

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विजय प्रसाद खण्डूड़ी

दिल्ली राज्य द्वारा शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित। नाइजीरिया सरकार के आमंत्रण पर नाइजीरिया में पांच वर्ष तक शिक्षा निदेशक। विज्ञान को लोकप्रिय बनाने हेतु नियमित लेखन। दो पुस्तकें रूपा एण्ड कम्पनी द्वारा प्रकाशित। ‘वर्ड गेम्स एण्ड पजल्स’ नामक पत्रिका का प्रकाशन। ‘सोसाइटी फॉर पॉपुलराइजेशन एण्ड एडवान्समेंट ऑफ साइंस एजूकेशन’ नामक संस्था का गठन किया। संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत में जर्मन महोत्सव के लिए भारत के विभिन्न पहलुओं पर 1500 से अधिक क्विज प्रश्नों को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गयी। वर्तमान में शिक्षा निदेशालय में उप निदेशक।

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(श्रीमती) अज़रा खान ‘नूर’

उत्तरांचल प्रदेश की स्थापना हेतु जिस प्रकार शक्ति के साथ प्रयासरत होकर आप लोगों ने सपफलता प्राप्त की, उसी प्रकार हर क्षेत्र में इस प्रदेश के उन्नयन एवं समृद्धि हेतु अपनी ओर से भरसक प्रयत्न करते रहें। पर्वतीय अंचल के युवाओं के लिए प्रचलित शब्द ‘परिश्रमी’ को सार्थक करते हुए उद्योग, व्यापार, शिक्षा-संस्कृति, साहित्य, समाज सेवा, खेलकूद आदि क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल कर अपने राज्य को देश के बेहतरीन राज्य का दर्जा दिलाने का गौरव प्राप्त करें।

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डॉ. प्रेमलाल ग्वाड़ी

तीस पुस्तकों का सृजन, गद्य, पद्य, कहानी एवं निबंध विधा में साहित्य सृजन।उत्तराखण्ड आन्दोलन में सहभागिता.सहस्राब्दि विश्व हिन्दी सम्मेलन, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दि सम्मान से सम्मानित।

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पवन कुमार गुप्ता

1976 के बाद लगभग 11-12 साल उद्योग/व्यापार करने के बाद 1989 से सामाजिक कार्य। ‘सिद्ध’ संस्था की स्थापना। शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रयोग। लेखन (जनसत्ता के लिए नियमित रूप में)। हिमालय रैबार नामक पत्रिका का पिछले 9 सालों से सम्पादन। युवाओं के बीच विचार देने/बनाने का काम।

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