विश्व नारायण सिंह

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में, हैदराबाद मुक्ति संग्राम तथा गोवा मुक्ति आंदोलन में हिस्सा लिया। दृष्टिहीनों की ब्रेल पत्रकारिता एवं साहित्य निर्माण के लिए सोवियत लैण्ड नेहरू अवार्ड तथा अन्य पुरस्कार प्राप्त किए। भारतीय ब्रेल पत्रकारिता व साहित्य के पिता के रूप में मान्यता।

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लीलाधर शर्मा ‘पर्वतीय’

स्वतंत्रता संग्राम में लाल बहादुर शास्त्री के सहकर्मी।चार वर्ष से अधिक की दो जेल यात्राएं कीं। 1945 में जेल से छूटने के बाद पत्रकारिता में प्रवेश, दो पत्रों का संपादन, 300 से अधिक लेखों की रचना। अनेक पुरस्कृत पुस्तकों का लेखन व संपादन। हिन्दी समिति के वर्षों तक सचिव। प्रदेश व केन्द्र सरकार की पाठ्य पुस्तकों का लेखन व संपादन। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व उ.प्र. सरकार द्वारा विभिन्न सेवाओं के लिए सम्मानित। 1979 में उ.प्र. के सूचना विभाग में उपनिदेशक के पद से सेवा निवृत्त। अब भी लेखन व सामाजिक कार्यों में सलग्न।

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राधा कृष्ण वैष्णव

1939-1994 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ा रहा। 1943-48 तक जिला बोर्ड गढ़वाल का प्रदेश में सब से कम उम्र का सदस्य। हूँ। सीनियर वाइस चैयरमैन। 1991-92 में उ.प्र. शासन द्वारा स्वतंत्रता संग्राम पत्रकार के रूप में सम्मानित तथा पेंशन स्वीकृत। चमोली गढ़वाल एवं पर्वतीय क्षेत्र में अनेक सरकारी, गैरसरकारी संगठनों में सक्रिय और अनेक साहित्यक और सामाजिक समारोहों में सम्मानित। उत्तरांचल का वरिष्ठ पत्रकार (67 वर्ष की पत्रकारिता) तथा प्रदेश का एकमात्र शासन द्वारा पेंशन प्राप्त सम्मानित पत्रकार।

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हरी दत्त पन्त

बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन की ओर झुकाव। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सेदारी। ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ षड्यंत्र के मुख्य आरोपी घोषित और गिरफ्तार। मृत्युदण्ड की सजा जो बाद में 29 साल के कठोर कारावास में बदल दी गयी। जेल के भीतर भी आंदोलन में सक्रिय। स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्यों में संलग्न तथा गांव में जाकर रहने लगे। उत्तर प्रदेश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में एक।

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बांके लाल कंसल

गांधी जी के आश्रम वर्ध में रहने के कारण सत्य और अहिंसा पर पूर्ण निष्ठा रही। जिसके कारण जीवन राष्ट्र सेवा में समर्पित होता चला गया। नेहरू जी से विशेष सम्बन्ध रहा। जिसके कारण इंदिरा जी ने बड़ा सम्मान दिया। नैनीताल में 1874 में आर्य समाज की स्थापना हुई, जो कि विश्व के प्राचीनतम आर्य समाजों में से एक है। जन्म से ही आर्य समाज से जुड़े रहे। सन 1937 से लगातार 13 साल तक म्यूनिसिपल कमिश्नर रहे। वर्तमान आर्य समाज मन्दिर हेतु 13 विभागों से जमीन दिलवायी। सर्वप्रथम विधवा विवाह की शुरूआत की।

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