गोपाल दत्त बिष्ट

अत्यंत कठिन परिस्थितियों के बावजूद स्वपाठी एवं उच्चत्तम अध्ययन। अपनी मौलिकता के कारण आशुलिपिक पद से राज्य सभा में प्रथम श्रेणी के उच्च अधिकारी के पद तक पहुंचे. हिन्दी आशुलिपि में नयी प्रविधियां विकसित कर 250 शब्द प्रति मिनट का विश्व कीर्तिमान स्थापित किया. आशुलिपि विज्ञान पर विश्व में पहला शोधप्रबंध प्रकाशित किया। अंग्रेजी एवं हिन्दी आशुलिपि पर 32 पुस्तकों का प्रणयन जिन्हें भारत सरकार द्वारा मान्यता प्रदान की गयी। चार पुस्तकें भारत सरकार के आर्थिक अनुदान से प्रकाशित की गयी हैं। हिन्दी आशुलिपि का पहला शब्दकोश तैयार किया। सी.बी.एस.इ./यू.पी.बी.टी. की पाठ्यक्रम समिति के संयोजन, एस.एस.सी./यू.पी.एस.सी. के परीक्षक; प्रशिक्षण में विशेष योगदान. आशुलिपि में कीर्तिमान के कारण गिनीज बुक तथा लिम्का बुक ऑव रिकार्ड में शामिल, छः बार अखिल भारतीय चैंपियन एवं स्वर्णपदक विजेता।

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