विपिन त्रिपाठी

1968-69 में हल्द्वानी में ‘युवजन मशाल’ पाक्षिक पत्रिका का प्रकाशन; नैनीताल की तराई में 1965-69 में भूमिहीन आंदोलन में सक्रिय, 1970 में नैनीताल में समाजवादी युवजन सभा का प्रदेश सम्मेलन का आयोजन व प्रथम जेल यात्रा, 1971 में द्वाराहाट से ‘द्रोणांचल प्रहरी’ पाक्षिक का प्रकाशन, वनों की लूट के विरुद्ध तथ्यात्मक समाचारों का प्रकाशन, स्टार पेपर मिल का कोप भाजन, पत्र के विरुद्ध प्रेस काउंसिल में मुकदमा, वन बचाओ आंदोलन की शुरूआत, 1974 में वनों की नीलामी के विरुद्ध अन्य साथियों के साथ दो बार प्रदर्शन व गिरफ्रतारी, आपातकाल में जून 1975 में प्रेस एक्ट की विभिन्न घाराओं व डी.आई.आर. में गिरफ्तारी, प्रेस सील, समाचार पत्र बन्द, अल्मोड़ा सहित 5 जेलों की यात्रा। उ.प्र. में सर्वाधिक 22 माह का सश्रम कारावास।

Read More

महेश चन्द्र बेलवाल

1952-57 में दिल्ली में घरेलू नौकर तथा बेलदार के बतौर काम करना शुरू किया। 1957-58 में ट्यूशन पढ़ाए। साइकिल रिपेयर शॉप में भी काम किया। 1958-60 में डी.टी.यू. में कंडक्टर का काम किया। 1960 में ग्रांट एडवरटाइजिंग इनकारपोरेटेड में टाइपिस्ट के बतौर काम शुरू किया और 1963 में मीडिया मैनेजर के पद पर रहते हुए कम्पनी छोड़ दी। इसके बाद आगामी 10 वर्षों में अनेक विज्ञापन कंपनियों के महत्वपूर्ण विभागों में काम किया। 1973 में इम्पैक्ट एडवरटाइजिंग प्रा.लि. नाम से अपनी कम्पनी शुरू की जिसका वार्षिक कारोबार 3-4 करोड़ रुपये था। इस क्षेत्र में रहते हुए अनेक उद्योगपतियों के सम्पर्क में आने से उद्योगपति बनने की प्रेरणा मिली। 1982 में ‘बेलवाल स्पिनिंग मिल्स लिमि.’ के नाम से रामनगर (नैनीताल) में स्पिनिंग मिल स्थापित की।

Read More

राम प्रसाद

प्रकाशिकी शोध व विकास में पेशेवर नेतृत्व, विज्ञान की सामाजिक भूमिका पर गहन कार्य, ‘वल्र्ड फैडरेशन ऑफ साइंटिफिक वर्कर्स’ के जरिए विज्ञान कर्मियों के आंदोलन का विश्वस्तरीय नेतृत्व, टेक्नोलॉजकल नर्सरियों व औद्योगिक बागानों की अवधारणा।

Read More

हरी दत्त पन्त

बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलन की ओर झुकाव। भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सेदारी। ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ षड्यंत्र के मुख्य आरोपी घोषित और गिरफ्तार। मृत्युदण्ड की सजा जो बाद में 29 साल के कठोर कारावास में बदल दी गयी। जेल के भीतर भी आंदोलन में सक्रिय। स्वतंत्रता के बाद सामाजिक कार्यों में संलग्न तथा गांव में जाकर रहने लगे। उत्तर प्रदेश के अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में एक।

Read More

कैलाश चन्द्र पंत

महू में स्वाध्याय विद्यापीठ की स्थापना,22 वर्षों तक साप्ताहिक जनधर्म का नियमित प्रकाशन किया,भोपाल में किसान भवन का निर्माण और हिन्दी भवन का विकास किया,‘कौन किसका आदमी’ और ‘धुंध के आर पार’ का प्रकाशन,20 मई 1995 को भोपाल में नागरिक अभिनन्दन तथा 1,61,000 रु. की राशि भेंट स्वरूप प्राप्त की। ‘मालवांचल में कूर्मांचल’ नामक अभिनंदन-ग्रन्थ का प्रकाशन। मध्य प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अतिरिक्त राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहायक मंत्री पद एवं हम भारतीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक पद का दायित्व संभाल रखा है। सम्प्रतिः राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा-राष्ट्रीय संयोजक।

Read More

मोती सिंह नेगी

1952 में झांसी जेल में देश के बड़े नेताओं और संग्रामियों के साथ 6 माह रहने का अवसर मिला। बाद में गाँव वापस लौटने पर सामाजिक कार्यों में संलग्न हो गया। अपने क्षेत्र में प्राइमरी पाठशाला, जूनियर हाईस्कूल, बिनसर महादेव मंदिर और सड़कें बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भी रामनगर में एक धर्मशाला के निर्माण में सक्रिय।

Read More

कुंवर सिंह नेगी

देश की विभिन्न भाषाओं में अनेक पाठ्य पुस्तकों, धार्मिक व साहित्यिक पुस्तकों को ब्रेल लिपि में रूपांतरण व दृष्टिहीनों में निःशुल्क वितरण। दृष्टिहीनों के लिए किए गए कार्य पर विश्व उन्ननय संसद, कलकत्ता द्वारा विकलांग कल्याण में डाक्टरेट की मानद उपाधि। 1981 में पद्मश्री। 1990 में पद्म भूषण से अलंकृत।

Read More