गोविन्द चातक

आकाशवाणी दिल्ली में 4 वर्षों तक सहायक प्रोड्यूसर, नाटक; इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के राजधानी कालेज में प्राध्यापक।लोक साहित्य, भाषा विज्ञान, संस्कृति और नाट्य समीक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किया।5 नाटक प्रकाशित- केकड़े, दूर का आकाश, अंधेरी रात का सफर, बाँसुरी बजती रही। नाट्य समीक्षा ग्रन्थ ‘प्रसाद के नाटक स्वरूप और संरचना’, ‘आधुनिक हिन्दी नाटक का मसीहा मोहन राकेश’ विशेष रूप से चर्चित। ‘गढ़वाली लोक गीत’ (साहित्य अकादमी), ‘गढ़वाली लोक गाथायें’ आदि भी उल्लेखनीय हैं। भाषा के क्षेत्र में ‘मध्य पहाड़ी परम्परा और हिन्दी, पहाड़ी भाषा के अध्ययन रूप में मानक ग्रन्थ। पर्यावरण और संस्कृति के संकट पर भी विशेष लेखन। अब तक लगभग 20 पुस्तकों का लेखन। ‘जय श्री सम्मान’। ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’, ‘रामनरेश त्रिपाठी पुरस्कार’, साहित्य कला परिषद दिल्ली प्रशासन का नाटकों का सर्वोच्च पुरस्कार, ‘पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार’ जैसे पुरस्कार पुस्तकों पर दिए गए हैं।

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