लक्ष्मण सिंह बिष्ट ‘बटरोही’

कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष. बुदापैश्त (हंगरी) में भारतशास्त्र के अतिथि प्रोफेसर. रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, इंग्लैंड, जर्मनी, फिनलैंड आदि की यात्राएं।

Read More

पंकज बिष्ट

विभिन्न प्रसारण सेवाओं में नौकरी करने के बाद ‘आजकल’ मासिक पत्रिका में सम्पादक। तीन कहानी संग्रह ‘पन्द्रह जमा पच्चीस’ व ‘बच्चे गवाह नहीं हो सकते’ और ‘टुन्ड्रा प्रदेश’। दो उपन्यास ‘लेकिन दरवाजा’ व ‘उस चिड़िया का नाम’ व कुछ बाल रचनाएं प्रकाशित व बहुप्रशंसित। संचार माध्यमों व पत्रकारिता पर अनेक लेख प्रकाशित। बाल उपन्यास ‘गोलू और भोलू’ भारतीय और विदेशी भाषाओं में, कई रचनाओं का अनुवाद। ‘समयांतर’ पत्रिका का सम्पादन।

Read More

रस्किन बॉण्ड

पिछली आधी शताब्दी से लिख रहे हैं। बच्चों के लिए भी लिखा है। कुछ रचनाओं पर फिल्में बनी हैं। लगभग 75 किताबें प्रकाशित। अनेक भाषाओं में अनुवाद। साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य पुरस्कारों के अलावा पद्मश्री से सम्मानित।

Read More

अबोध बन्धु बहुगुणा

हिन्दी और गढ़वाली के कवि, लेखक, कथाकार, उपन्यासकार, आलोचक, नाटककार, साहित्यकार, संग्राहक और अनुवादक। केन्द्रीय सरकार के पूर्ति मंत्रालय, उप-निदेशक पद से सेवानिवृत्त।

Read More

हरीश चन्द्र पाण्डे

‘एक बुरूंश कहीं खिलता है’ (कविता संग्रह) तथा ‘कुछ भी मिथ्या नहीं है’ (कविता-पुस्तिका) प्रकाशित। एक बाल-कथा संग्रह भी प्रकाशित। कविता संग्रह ‘कल की तारीख’ में प्रकाशनाधीन परिमल सम्मान योजना के अंतर्गत कविता हेतु वर्ष 1995 का सोमदत्त सम्मान प्राप्त। कविताओं के अनुवाद कुछ अन्य भारतीय भाषाओं में भी प्रकाशित। कुछ कहानियां भी प्रकाशित। वर्ष 2001 में केदार सम्मान मिला, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का सृजन पुरस्कार।

Read More

मृणाल पाण्डे

प्रयाग, भोपाल और दिल्ली वि.वि. में अध्यापन। वाशिंगटन डी.सी. स्थित कोरकोरन स्कूल से मूर्ति शिल्प, कला और डिजायनिंग में प्रशिक्षण प्राप्त किया। ‘टाइम्स आफ इण्डिया’ प्रकाशन समूह की प्रसिद्ध पत्रिका ‘वामा’ का सम्पादन किया। आजादी के बाद बदले हुए भारतीय परिवेश को इन्होंने अपनी कहानियों, उपन्यासों, और नाटकों में रेखांकित किया। स्टार टी.वी. और दूरदर्शन के लिए कार्य। दैनिक हिन्दुस्तान, नई दिल्ली के प्रधान संपादक पद पर कार्यरत।

Read More

देवकी रामपाल पांडे

लखनऊ विश्वविद्यालय में अंग्रेजी अध्यापन (1951-1960); मोतीलाल नेहरू कालेज दिल्ली में अध्यापन (1968-1986) ;1953 में साल भर ब्रिटिश काउंसिल की छात्रवृत्ति पर लीड्स विश्वविद्यालय (इंग्लैंड) में अध्ययन ; हिन्दी व अंग्रेजी में अनेक आलेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित; बच्चों के लिए दो पुस्तकों का लेखन; पति विंग कमांडर रामपाल की पुस्तक ‘इंडिया विन्स द वार’ का हिन्दी में अनुवाद.

Read More