कैलाश चन्द्र पंत

महू में स्वाध्याय विद्यापीठ की स्थापना,22 वर्षों तक साप्ताहिक जनधर्म का नियमित प्रकाशन किया,भोपाल में किसान भवन का निर्माण और हिन्दी भवन का विकास किया,‘कौन किसका आदमी’ और ‘धुंध के आर पार’ का प्रकाशन,20 मई 1995 को भोपाल में नागरिक अभिनन्दन तथा 1,61,000 रु. की राशि भेंट स्वरूप प्राप्त की। ‘मालवांचल में कूर्मांचल’ नामक अभिनंदन-ग्रन्थ का प्रकाशन। मध्य प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अतिरिक्त राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के सहायक मंत्री पद एवं हम भारतीय अभियान के राष्ट्रीय संयोजक पद का दायित्व संभाल रखा है। सम्प्रतिः राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा-राष्ट्रीय संयोजक।

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उदय शंकर पन्त

भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। इंस्टीट्यूट आफ गवर्नमेंट एकाउंट एण्ड फाइनेंस की स्थापना की। इसके कलकत्ता, चेन्नई व मुंबई केन्द्रों को डिजाइन किया। एशियन डेवलपमेंट बैंक और संयुक्त राष्ट्र के लिए कार्य किया।वित्त प्रबंधन में दो चर्चित पुस्तकों का प्रकाशन। हिंदी में चार कविता संग्रह प्रकाशित। नई पुस्तक ‘ओपन सीक्रेट्स ऑफ हैप्पीनेस’ तथा अखबारों में नीतिगत मसलों पर स्वतंत्र लेखन। अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध।

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विद्यासागर नौटियाल

टिहरी रियासत के सामन्त विरोधी आंदोलन में सक्रिय होकर राजपाट बदलने में सहायक बने। बनारस में 1952 से 1959 तक छात्र आंदोलनों में सक्रिय। 1958 में आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन के अध्यक्ष निर्वाचित। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय छात्र संघ का 1953 में महामंत्री तथा 1957 में विश्वविद्यालय छात्र संसद का प्रधानमंत्री निर्वाचित। 1980 में देवप्रयाग से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित। 1958 में वियना में आयोजित विश्व युवक समारोह में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के नेता के रूप में शामिल। सोवियत संघ व कुछ अन्य देशों की यात्राएँ भी कीं। छात्र जीवन से कहानियां लिखना प्रारम्भ किया। हिन्दी की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कहानियां प्रकाशित। अब हिन्दी के समकालीन प्रमुख कथाकारों में शामिल। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास प्रकाशित तथा कुछ प्रकाशनाधीन। ‘पहल सम्मान’ तथा मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के द्वारा अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार से सम्मानित।

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राकेश चन्द्र नौटियाल

अपनी अपंगता से निराश न होकर विषम परिस्थितियों से जूझते हुए भाई-बहिनों की शिक्षा-दीक्षा व जीवन में व्यवस्थित होने में सहायक रहना। स्वयं का जीवन व्यवस्थित करना। 30 वर्ष के अध्यापन अनुभव के अलावा दो कविता एवं एक कहानी संग्रह का प्रकाशन तथा दो पुस्तकें संपादित कीं। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में दर्जनों निबंध एवं शोध पत्र प्रकाशित। ‘नैतिकी’ मासिक पत्रिका तथा उत्तराखण्ड शोध संस्थान की ‘शिक्षा शोध पत्रिका’ का सह संपादन। सीमान्त खबर (साप्ताहिक) का साहित्यिक संपादक। सदस्य, सलाहकार समिति, इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नालॉजी एण्ड मैनेजमेंट, चकराता रोड, देहरादून।

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प्रभाती नौटियाल

कविताएं, लेख, समीक्षाएँ विभिन्न साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित; जे.एन.यू. से एम.ए. के बाद भारतीय विदेश व्यापार संस्थान में 1978-98 तक स्पेनी भाषा का अध्यापन; 1999 से ‘लोर्का’ त्रैमासिक का संपादन, जो मूल से विदेशी साहित्य को हिंदी में प्रकाशित करने का प्रयास है। मेक्सिको में 1980-81 के दौरान वहाँ के साहित्य पर शोध करने वाला पहला भारतीय। लातीनी अमरीकी देशों द्वारा संयुक्त रूप से दिये जाने वाले पुरस्कार ‘सिमोन बोलीवार’ से सम्मानित; दस से अधिक मूल स्पेनी से अनूदित साहित्यिक कृतियां हिंदी में प्रकाशित, जिनमें पाब्लो नेरूदा की कविताओं का संग्रह ‘रुको ओ पृथ्वी’ साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित; स्पेनी-हिंदी कोश का संपादन, जो केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हुआ। सम्प्रतिः आई.आई.एफ.टी., दिल्ली में विजिटिंग प्रोफेसर।

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प्रेम सिंह नेगी

हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे धर्मयुग, सारिका, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कहानी, रविवार, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक अमर उजाला आदि में लगभग पांच दर्जन कहानियाँ प्रकाशित। साप्ताहिक हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित सर्वभाषा कहानी प्रतियोगिता में ‘अठमंगली’ कहानी को पुरस्कार। अब तक चार कहानी संग्रह और एक उपन्यास छप चुके हैं। कुछ कहानियाँ अन्य प्रादेशिक भाषाओं में भी प्रकाशित। नेशनल बुक ट्रस्ट से बाल रचनाओं का नव साक्षरों के लिए प्रकाशन। ‘युगमंच’ तथा ‘उमंग’ संस्थाओं द्वारा कुछ कहानियों का मंचन। कुछ संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए सम्मानित।

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नृप सिंह नपलच्याल

जीवन में कतिपय उपलब्धियाँ अवश्य रही होंगी परन्तु मैं अपनी उन उपलब्धियों को उपलब्धि नहीं समझता। इसे ही अपनी उपलब्धि मानकर आगे बढ़ना चाहता हूँ। युवाओं के नाम संदेशः हमारे पहाड़ों की तरह हमारे जीवन मूल्य भी शाश्वत हैं। उनकी रक्षा करते हुए जीवन में उत्कृष्टता के साथ सफलता का प्रयास करें।

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