मंगलेश डबराल

‘हिंदी पेट्रियट’, ‘प्रतिपक्ष’ और ‘आसपास’ में काम करने के बाद भोपाल में ‘पूर्वग्रह’ के सहायक संपादक। छः साल इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में साहित्य संपादक। 1983 से ‘जनसत्ता’ में कार्यरत रहे और अप्रैल 2003 से ‘सहारा समय’ में कार्यकारी सम्पादक (विचार) बने। चार कविता संग्रह- ‘पहाड़ पर लालटेन’, ‘घर का रास्ता’, ‘हम जो देखते हैं’ और ‘आवाज भी एक जगह है’,एक डायरी- ‘एक बार आयोवा’ और एक गद्य संग्रह- ‘लेखक की रोटी’ प्रकाशित। राजस्थान के शिक्षक कवियों के संकलन ‘रेतघड़ी’ और पचास वर्ष की हिंदी कविता ‘कविता उत्तरशती’ का संपादन। बेर्टोल्ट ब्रेष्ट, हांस माग्नुस ऐंत्सेंसबर्गर (जर्मन), यासि रित्सोस (यूनानी), ज्बग्नीयेव हेर्बेत, तेदेऊष रूजेविच (पोल्स्की), पाब्लो नेरूदा, एर्नेस्तो कार्देनाल (स्पानी), डोरा गाबे, स्तांका पेंचेवा (बल्गारी) आदि की कविताओं के अनुवाद। जर्मन उपन्यासकार हेरमन हेस्से के उपन्यास ’सिद्धार्थ’ और बांग्ला कवि नवारुण भट्टाचार्य के संग्रह ‘यह मृत्यु उपत्यका नहीं है मेरा देश’ के सह-अनुवादक।

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दयानन्द अनन्त

1958 में पहली कहानी ‘गुइयाँ गाले न गले’ के ‘कहानी’ में छपने के साथ रचनात्मक यात्रा शुरु। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 5 टीवी नाटक, अनेक हास्य व्यंग्य तथा अनेक अनुवाद प्रकाशित। रूसी दूतावास में जन सम्पर्क अधिकारी भी रहे और फिर स्वतंत्र रचनाकार के रुप में ‘पर्वतीय टाइम्स’ के संस्थापक- संपादक बने। यह पत्र 1980 से 1989 तक प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में भी यह प्रकाशित हो रहा है।

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ज़हूर आलम

चर्चित नाट्य संस्था ‘युगमंच’ का कई वर्षों से संचालन। इस संस्था से नाटकों का अक्षर ज्ञान लेकर 16 कलाकार राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली और 5 पुणे फिल्म टी.वी. संस्था में गये, जो किसी संस्था के लिए एक कीर्तिमान है। हिन्दी रंग जगत में अभिनेता, निर्देशक के रूप में राष्ट्रीय नाट्य उत्सवों में भागीदारी। कई फिल्मों, टी.वी. सीरियल, टेली फिल्मों में अभिनय। साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कविता, गजलें प्रकाशित।

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सी.पी. आर्य

1976 में भारतीय कस्टम व एक्साइज सर्विस में सेवा प्रारम्भ की।राजस्व विभाग में आने पर देश के अनेक नगरों में असिस्टेंट/डिप्टी कलक्टर के रूप में कार्य किया। केन्द्रीय राजस्व अभिसूचना, नई दिल्ली में उप/सहायक निदेशक के पद पर कार्य किया।वर्तमान में कमिश्नर उत्पाद कर के पद पर मुम्बई में तैनात।

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धर्मानन्द उनियाल ‘पथिक’

अब तक 11 पुस्तकों का प्रकाशन।सैकड़ों लेख प्रकाशित, आकाशवाणी से हिन्दी-गढ़वाली में वार्ताएं प्रसारित।अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संस्थाओं की स्थापना तथा अनेक से जुड़ाव।उत्तराखण्ड में चले कुछ आंदोलनों- विश्वविद्यालय आंदोलन, स्वामी मन्मथन के साथ मद्यनिषेध व बलि विरोधी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।गढ़ गौरव सम्मान;उत्तराखण्ड जन कल्याण समिति, मुंबई का सम्मान; गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा मानपत्र;स्वामी मन्मथन स्मृति सम्मान;कालिदास सम्मान;उत्तराखण्ड गौरव सम्मान गढ़श्री सम्मान।

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देवेन्द्र उपाध्याय

1962 से नियमित लेखन।अनेक पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।1971 से पत्रकारिता से जुड़े।1973-1985 तक ‘दैनिक जनयुग’ तथा 1985-1989 तक ‘दैनिक देशबंधु’ (म.प्र.) के दिल्ली ब्यूरो में।अब तक प्रकाशित पुस्तकें: “अजनबी शहर में”, “संदर्भ”, “जंगल और हम” (कविता संग्रह) ,”शहर में आखिरी दिन”, “एक और वापसी”, “उसके हिस्से में”,”इक्कीस कहानियां” (कहानी संग्रह), कई एक चेहरे, आखर, छपते-छपते (उपन्यास), कोहरे की घाटी में, एक खूबसूरत सपना (यात्रा-वृतान्त), समाचार पत्रों की दुनिया में (पत्रकारिता)। संपादनः कूर्मांचल (त्रैमासिक), लोकभूमि (साप्ताहिक), अनास्था, परिभाषा (अनियतकालिक), जवाहरलाल नेहरूः बहुआयामी व्यक्तित्व, पंचायती राज व्यवस्था, उत्तरायणी (उत्तराखण्ड के कथाकारों की कहानियां), आजादी के 50 सालः क्या खोया क्या पाया।

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पार्वती उप्रेती

1985 में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या के रूप में अवकाश ग्रहण किया। 25 वर्ष तक निरन्तर आकाशवाणी से सम्बद्ध रही। कविताएं, कहानियां, वार्ताएं प्रसारित होती रहीं। कुछ पुस्तकें भी छपी हैं।जीवन के अनेक उतार-चढ़ावों से जूझते हुए मैंने समाज सेवा के नाते अध्यापन कार्य अपनाया। प्राणप्रण से प्रयास किया कि विद्यालय की बालिकाओं में उच्च शैक्षिक स्तर के साथ देश और समाज के प्रति अपने दायित्वों का बोध् हो। इस हेतु अनेक प्रोजेक्ट चलाए।

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