दया किशोर आर्य

बड़े कमजोर हालात में छात्रावृत्ति के सहारे पढ़कर IPS में निकल जाने को मैं उपलब्ध् मानूंगा।ईमानदारी, कर्मठता, लगनशीलता व विनम्रता का सहारा लेकर जहाँ भी रहा सफल ही रहा।राजनीतिक प्रश्रय या अन्य प्रकार की बैसाखियों के बिना पहला IPS निदेशक बी.एस.एफ. अकादमी, महानिदेशक (पुलिस) मध्यप्रदेश, महानिदेशक आई.टी.बी.पी., महानिदेशक एन.एस.जी. एवं अंततः भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल बी.एस.एफ. का महानिदेशक बन सका।सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल उ.प्र. का सलाहकार रहा।पर्वतारोहण, एडवेंचर वाटर स्पोर्टस, पर्यावरण व युवा कार्यों से आज भी प्रणेता के रूप में सम्बद्ध हूँ।

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