बच्ची राम ढौंडियाल

सिंगापुर और मलेशिया में अंग्रेजी फौजों के खिलाफ मोर्चा लिया। मेरी सेवाओं को देखते हुए मुझे स्वतंत्रता संग्रामी का दर्जा दिया गया। अपने बच्चों को मैंने अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास किया।

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