गाय-भैंस का ब्याना और बिगौत का खाना..

गाय-भैंस ब्याती तो घर में खुशी का माहौल बन जाता। हम नई पैदा हुई बाछी या थोरी को छूना चाहते। घर वाले कहते, ‘मारेगी गाय!’ गाय बाछी को चाटती रहती। दुबली-पतली बाछी लरबर-लरबर करती, उठती-गिरती। कोई नजदीक जाने लगता तो गाय गुस्से से ‘स्यां ss क’ करती। एक-दो दिन बाद पास आने देती थी। हम धीरे से बछिया या भैंस की थोरी को छूते। कितनी मुलायम लगती थीं वे!

Read More

बेचारा गुजारा …

गोरू-भैंसों को गर्दन पर हमारी अंगुलियों से खुजलाना बहुत अच्छा लगता था। कुछ तो पास आकर खड़ी हो जातीं और गर्दन ऊपर कर देतीं, जैसे कह रही होंµ लो हमारी गर्दन तो खुजला दो! अंगुलियां चलाने या हथेली से सहलाने पर वे गर्दन को वैसे ही ऊपर उठाए रखतीं। वे हमारी हर बात को समझती थीं। हमारी आवाज पहचानती थीं। यहां तक कि पैरों की आवाज भी पहचानती थीं।…

Read More

ब्वाँश, बाघ, मूना और “पैजाम उतार पैजाम”….

दात लेकर मैं ऊपर की ओर दौड़ा। तभी मैंने बाघ को चमकती बिजली की तेजी से नीचे को छलांग लगाते देखा। मैं बकरी के पास पहुंच गया। उसने मुझे देखा तो डर के मारे गला फाड़ कर मिमियाते हुए नीचे की ओर दौड़ लगा दी। वह बकरी नहीं ‘मूना’ (बकरा) था। काले-सफेद रंग का मजबूत और भारी डीलडौल वाला मूना। लंबी दाढ़ी। बाघ ने अपने लिए बकरियों की भीड़ में से सबसे मोटा-ताजा मूना चुना था। …..

Read More

हमार गोरू-बाछ और चिंगोरे हुए हाथ..

गर्मियों में गेहूं कटने के बाद हम उन खेतों और आसपास की खाली जमीनों में या फिर चिनाड़ व पाल् गध्यार ले जाकर गाय-भैसें चराते थे। गर्मियों में स्कूल की छुट्टियां होने पर दिन भर गाय-भैसों के साथ रहते थे। मैं, जैंतुवा और पनुदा अपनी-अपनी गाय-भैसों के साथ जाते थे। हाथ में होता था तेज दात जिससे टहनियां वगैरह काटते थे। सुबह थान पर से खोलने के बाद सभी गाय-भैंसें अपनी मुखिया भैंस के पीछे-पीछे लाइन बना कर चल पड़ती थीं। …

Read More

बन्दुक्या जसपाल राणा, सिस्त साधिदे – निसाणु साधि दे

नरेन्द्र सिंह नेगी जी उत्तराखंड के आम लोगों की दिनचर्या और उनकी पीड़ाओं के बारे बहुत से गीत गाये हैं। उत्तराखंड में बाघ का आतंक हमेशा से रहा है। साधारणतया बाघ पालतू गाय, बकरी व अन्य जानवरों का शिकार कर लोगों का नुकसान करता है लेकिन बाघ के आदमखोर हो जाने से उसके द्वारा कई मनुष्यों, घास लेने गयी महिलाओं व छोटे बच्चों को भी अपना शिकार बनाया जाता रहा है। जंगल गयी एक युवती सुमा को आदमखोर बाघ द्वारा अपना शिकार बनाये जाने को लेकर एक बहुत ही मार्मिक…

Read More

उनके भी हैं अंदाजे़ बयां और…

अपनी बात दूसरों को समझाने के लिए हम क्या कुछ नहीं करते! बोलते हैं, आवाज देते हैं, मुख मुद्राएं बदलते हैं, शरीर की भाव-भंगिमाएं बनाते हैं, स्वागत  करने के लिए गले लगाते हैं, हाथ मिलाते हैं, और विदा करने के लिए हाथ हिलाते हैं। यानी, येन-केन प्रकारेण अपनी बात दूसरों को समझा देते हैं। लेकिन, इस विशाल दुनिया में केवल हम ही तो नहीं हैं, हमारे लाखों हमसफर भी हमारे साथ इसी दुनिया में जीवन का सफर तय कर रहे हैं। वे कैसे समझाते होंगे अपने साथियों को अपनी बात?…

Read More