पीताम्बर देवरानी

शिक्षक से प्रधानाचार्य 1960 में। शिलोटी, मटियाली, देवीखेत, डीडीहाट, देवाल में प्रधानाचार्य रहने के बाद सहायक निदेशक (शिक्षा) बने लेकिन नये पद पर गये नहीं।स्थानीय विषयों-लोक साहित्य तथा शिक्षा पर अनेक लेख।‘कर्मभूमि’ का संपादन- 1986-88। ‘सत्यपथ’ का संपादन- 1988-94 तक।‘पर्वतजन’ से भी जुड़ा रहा।

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धर्म पाल अग्रवाल

1958 में एक्सप्लोरेशन एसिस्टेंट के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में काम करना शुरू किया। नौकरी व अध्ययन जारी रखते हुए 1972 में राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, अहमदाबाद में असिस्टेंट प्रोपफेसर नियुक्त हुए और 1993 में विभाग के चेयरमैन पद तक पहुंचे। उच्च कोटि के शोधकार्य के कारण आप अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरातत्वविद् माने जाते हैं। अब तक अनेक पुरस्कारों व पदकों से नवाजे जा चुके हैं। विज्ञान सम्बंधी अनेक पत्रिकाओं से सम्बद्ध हैं। अमेरिका व जापान सहित विश्व के कई देशों के विश्वविद्यालयों में शोधवृत्ति प्राप्त की और व्याख्यान दिए। अब तक लगभग 230 शोधपत्र तथा 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सेवानिवृत्ति के बाद आप पुनः अपने पैतृक नगर अल्मोड़ा वापस लौट आए और अब यहीं रह कर उत्तराखण्ड के उत्थान के लिए सक्रिय हैं।

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शेखर जोशी

कोसी का घटवार (1958), साथ के लोग (1978), हलवाहा (1981), मेरा पहाड़ (1989), एक पेड़ की याद (1987), नौरंगी बीमार है (1990), डांगरी वाले (1994), प्रतिनिधि कहानियाँ (1994) और दस प्रतिनिधि कहानियाँ (1997) आदि कहानी संग्रह प्रकाशित। पत्र- पत्रिकाओं में कविताएं/लेख आदि प्रकाशित। ‘धर्मयुग’ कहानी प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार (1955), उ.प्र. हिन्दी संस्थान का महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार (1987) एवं साहित्य भूषण पुरस्कार (1995), प्रतिष्ठित ‘पहल’ सम्मान (1997)।प्रायः सभी प्रादेशिक भाषाओं तथा अंग्रेजी, रूसी, जापानी, चेक, पोलिश भाषाओं में कहानियों के अनुवाद प्रकाशित/प्रसारित।

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