कारगिले लड़ै मां छौऊं…तू उदास न ह्वै मां….

उत्तराखण्ड में सैन्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब अंग्रेजों ने गढवाल-कुमांऊं में अपना राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किया तो वह यहाँ के यौद्धाओं से बहुत प्रभावित हुए और गढवाल-कुमाऊँ के साथ-साथ नेपाल के गोरखाओं को भर्ती में विशेष रियायतें देकर सेना में शामिल किया। उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों ने प्रथम व द्वितीय विश्व में अपने शौर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। अंग्रेजों के समय ही गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट का गठन किया गया। स्वतन्त्र भारत के सभी युद्धों में गढवाल…

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