कख लगाण छुईं, कैमा लगाण छुईं

उत्तराखण्ड के पहाड़ों की सुन्दरता का बखान तो सभी करते हैं।  इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुन्दरता है ही ऐसी कि इसको महिमामण्डित करते हुए कई कवियों और लेखकों ने अनगिनत रचनाएं की हैं। लेकिन इस सुन्दरता के पीछे पहाड़वासियों का दर्द भी छिपा है जो आमतौर पर लोगों को नहीं दिखता। पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां जीवन को कष्टसाध्य बनाती हैं और आम आदमी को जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिये भी काफी संघर्ष करना पड़ता है।  इन्हीं कष्टों, दुखों से बचने और जीविका अर्जन कर बेहतर जीवन की तलाश…

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कू भग्यान होलू डांड्यू मां….

“कु भग्यान होलू डांड्यू मा” नरेन्द्र सिंह नेगी व  द्वारा गाया बहुत ही सुरीला गाना है।  जिसमें बांसुरी की मधुर धुन के बीच एक युगल का सहज वार्तालाप है। भावार्थ : एक युवक और युवती पहाड़ों के प्राकृतिक वातावरण को निहारते हुए अपने रास्ते चले जा रहे हैं तभी उनके कानों में बांसुरी की मधुर धुन सुनाई देती है। धुन को सुनकर युवती के मन में उस बंशी बजाने वाले के बारे में जानने की उत्सुकता पैदा हो जाती है। वह जानना चाहती है कि वह कौन है जो दिल…

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तेरो मछोई गाड़ बागीगे ले खाले अब तो माछा

नेगी जी के गानों की विशिष्टता यह भी है कि उनके गानों में सामान्य जनजीवन के सभी रंग समाहित है। अब इस व्यंगात्मक गाने को ही लीजिये, एक महिला को मछली के व्यंजन खाने का भारी शौक है बिचारी का मछुआरा पति उसके भोजन के लिये मछली मारने के प्रयास में नदी में डूब  जाता है और लोग उसको नदी में ढूंढने का प्रयास करते हैं और महिला के चटोरेपन पर ताने भी कसते जाते हैं कि किस तरह उसके मछली खाने के शौक के चलते उसका पति पानी की…

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कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी

नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों के जरिये समाज के विभिन्न पहलुओं को भी समय समय पर छुआ है। “कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी” उनका एक ऐसा ही गीत है जिसमें उन्होने बढ़ती मँहगाई से त्रस्त एक व्यक्ति का चित्रण किया है। यह गीत “माया को मुंडारो” नामक वीसीडी से लिया गया है और इस गीत के ऑडियो और वीडियो अधिकार हिमालयन फिल्म्स के पास है। यदि आपको को पसंद आए तो मूल सीडी/वीसीडी खरीदें। इस चित्रगीत के निर्देशक श्री अनिल बिष्ट हैं। भावार्थ : कैसे…

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तू दिख्यांदि जनि जुन्यालि..

नरेद्र सिह नेगी के प्रसिद्ध गानों में से एक गाना है सुपरहिट गढवाली फिल्म “घरजवैं” का “तू दिख्यांदि…. जनि जुन्यालि”। इस गीत में एक प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिका के रूप और सौन्दर्य का वर्णन किया गया है। एक सच्चा प्रेमी तो वही है जिसे अपनी प्रेमिका ही संसार की सबसे सुन्दर नारी लगे कुछ ऐसे ही भाव इस गीत में भी हैं। भावार्थ : मैं तेरी कसम खा के कहता हूँ तेरा रूप चांदनी रात की तरह मोहक है जब भी संसार में रूपवती महिलाओं की बात होगी तो तेरा…

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नारंगी की दाणि ओ..

यह गाना उत्तराखंड की परिस्थितियों और वहाँ महिलाओं की स्थिति का सटीक चित्रण करता है। इस गीत में पुरुष स्वर नरेन्द्र सिंह नेगी और महिला स्वर अनुराधा निराला का है। ऐसा लगता है कि इस गाने में जो महिला है वह उन की उन सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है जिनके पति बेहतर भविष्य की तलाश में अपने परिवार को छोडकर मैदानी महानगरों में नौकरी करने को मजबूर हैं। लेकिन अन्तिम पंक्तियों में पूछा गया उसका सवाल भी शायद पलायन की चिरस्थाई समस्या की तरह ही अनसुलझा रह जायेगा। भावार्थ…

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