ना बैठ ना बैठ बिन्दी ना बैठ चरखी मां

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक बहुत पुराना और प्रसिद्ध गीत है। सामान्य बोल-चाल वाले शब्दों और मधुर संगीत से बने इस गाने को नेगी जी के प्रथम पीढी के प्रशंसकों के साथ-साथ नये युवा लोग भी बहुत पसन्द करते हैं। यह गाना भी हमें दो रूपों में मिलता है। एक पुराना रूप जब यह पहली बार कैसेट के लिये गाया गया था। दूसरा रूप – जब इसी गाने को टी.सीरीज के “चली भै मोटर चली” एलबम के लिये गाया गया। दोनों रूपों के बोलों में थोड़ा अंतर है। कैसेट…

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कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी का गाया गीत “कनु लड़िक बिगड़ि म्यारु ब्वारी कैर की” एक बूढ़े हो चले माँ बाप की व्यथा-कथा है। वैसे तो अपनी सन्तान का पालन-पोषण करने के पीछे किसी भी माता-पिता का कोई स्वार्थ नहीं होता, लेकिन कहीं न कहीं यह आशा जरूर होती है कि बुढापे में जब उनका शरीर अशक्त हो जायेगा तो यही सन्तान उन्हें सहारा देगी, लेकिन सभी माँ-पिता इतने भाग्यशाली नहीं होते कि उनके बेटे और बहुएं उनके पास रह कर उनके बुढापे का सहारा बनें। नये जमाने के युवक युवती…

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घुघूती घुरूंण लगी म्यारा मैत की

उत्तराखण्ड का लोकसंगीत न्यौली और खुदैड़ जैसे विरह गीतों से भरा पड़ा है। इन गीतों का अधिकांश भाग विवाहित महिलाओं पर आधारित है जो विकट ससुराल के कष्टपूर्ण जीवन को कोसते हुए मायके के दिन याद करती हैं। पहाड़ के गांवों में महिलाओं का जीवन अत्यंत संघर्षशील और कष्टप्रद है। दिनभर खेत-खलिहान-जंगल, मवेशियों और घर-परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर संभालने वाली मेहनतकश, मजबूत नारी को सामान्यत: इतना अवकाश भी नहीं मिल पाता कि वह अपने मायके को याद कर पाये। लेकिन जैसे ही चैत (चैत्र) का महीना लगता है…

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यो रखड़ि को त्यौहार: मीना राणा, उमा राणा

नरेन्द्र सिह नेगी जी की आवाज मैं ‘रखड़ी त्यार’ यानि राखी के त्यौहार के बारे में गाया गीत आपने सुना, आज इसी कड़ी में प्रस्तुत है मीना राणा व उमा राणा की आवाज में गाया एक गीत। यह गीत भी काफी मधुर व कर्णप्रिय है। भावार्थ : मेरा प्यारे भाई आज राखी का त्यौहार है, यह बार-बार आता है। इस राखी में हमारा प्यार है, इस प्यार को कभी मत भूलना। भगवान से यही प्रार्थना है कि तुम पर कभी कोई दुख-विपदा ना आये और मेरी उमर भी तुम्हें लगे।…

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धरती हमरा गढ़वाल की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बहुत से ऐसे गाने गाये हैं जो कालजयी हैं, उनको कभी भी सुन लो वो उतने ही प्यारे व मधुर लगते हैं जितने पहली बार सुनने में लगे थे। ऐसा ही एक गाना है “धरती हमरा गढ़वाल की“। इस गाने में उत्तराखंड के एक प्रमुख हिस्से गढ़वाल का जिक्र है और यह भी बताया गया है कि गढ़वाल क्यों इतना महान है। यह गीत ऐलबम “नयु-नयु ब्यो” से लिया गया है इसके ऑडियो व वी.सी.डी. टी.सीरिज पर उपलब्ध हैं। भावार्थ : हमारे गढ़वाल की धरती…

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डाल्यूं ना काटा चुचो डाल्यूं ना काटा

उत्तराखण्ड के लोगों के लिये वन बहुत महत्वपूर्ण हैं और इनका संरक्षण यहां की संस्कृति का हिस्सा रहा है। सरकार द्वारा चलाई जा रही वनसंरक्षण और वृक्षारोपण की योजनाएं अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पा रही हैं, इसका कारण प्रमुखत: यह है कि आम जनता की भावनाऐं इन योजनाओं से नहीं जुड़ पाती है। सेमिनारों और गोष्ठियों में भाषण देकर इन परियोजनाओं में सफलता मिल जायेगी, ये सोचना बेमानी है। वनसंरक्षण और वृक्षारोपण तभी सफल हो पायेगा जब इसके लाभ और अनियन्त्रित वन कटान के दुष्प्रभावों के प्रति जनता…

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इखमां छुईं, उखमां छुईं, जखमां देख, तखमां छुई

मानव जीवन में कई तरह की परेशानियां होती हैं लेकिन इस गाने के नायक की परेशानी नारी स्वभाव से जुड़ी एक सामान्य आदत है और वह आदत बकबक बोलने की… नरेन्द्र सिंह नेगी जी के इस व्यंगात्मक गाने में एक ऐसे आदमी का चित्रण किया है जो अपनी पत्नी की छुंयाल (बातूनी) आदत से त्रस्त है। उस आदमी का दर्द फूट-फूट कर सामने आ रहा है .. गाना सुनकर समझ में आता है कि वास्तव में उसकी पत्नी की बतकही की आदत वाचालता की हद तक जा पहुंची है। यह…

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