ऊँचा नीसा डाडों मा, टेढ़ा मेढ़ा बाटों मा

आज प्रस्तुत है एक बहुत ही पुराना गाना “ऊँचा नीसा डाडों मा, टेढ़ा मेढ़ा बाटों मा” जिसे नरेन्द्र सिंह नेगी ने गाया है। हाँलाकि इस गाने के बाद में कई संस्करण बन चुके है लेकिन यहां हम आप को इसके दो रूपों से परिचित करवा रहे हैं। पहला वाला कैसेट से लिया गया है और दूसरा वाला वी.सी.डी से। दूसरे गाने में सहगायिका के रूप में मीना राणा भी हैं। यह  “चली भै मोटर चली”  एलबम से लिया गया है और इसके वीडियो टी.सीरीज पर उपलब्ध हैं। पहाड़ के रास्तों…

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सुमा हे निहोणया सुमा डांडा नजा

उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके में ग्रामीण लोगों का जीवन जंगलों पर काफी हद तक निर्भर है। जंगलों में जाकर ईंधन के लिये लकड़ी और पशुओं के चारे के लिये घास लाना गांवों की महिलाओं की दिनचर्या का एक हिस्सा है। समय समय पर जंगलों में इन महिलाओं पर जानवरों द्वारा हिंसक हमलों की घटनाऐं होती रहती हैं। ऐसी ही एक घटना का दृश्य “सुमा हे निहोणया  सुमा डांडा नजा” गाने में भी नजर आता है। नरेन्द्र सिंह नेगी का यह गाना पहाड़ के ग्रामीण अंचल में घटी एक घटना का…

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अबैरी दां तू लssम्बी छुट्टी लै के ऐई

आज एक ओर आधुनिकता और विकास की अन्धी दौड़ में मानवीय संवेदनाएं और आपसी रिश्ते धूमिल होते जा रहे हैं और वहीं मानव सभ्यता की कई धरोहरें भी मनुष्य की बढ़ती जरूरतों की भेंट चढ रही हैं। महानगरों में रह रहे लोगों के वातानुकूलित कमरों और चमचमाती सड़कों के लिये रोशनी पैदा करने की खातिर एक पूर्ण विकसित शहर को गंगा जी की लहरों में जलसमाधि लेनी पड़ी। यह शहर था टिहरी शहर, जिसका एक गौरवशाली इतिहास रहा है लेकिन व्यापक जन-विरोध के बाबजूद टिहरी बांध के निर्माण के लिये…

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मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु…

पहाड़ वैसे तो हर मौसम में अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से लोगों का मन मोह लेते हैं लेकिन वसंत ऋतु में उनकी सुन्दरता देखने लायक होती है। इसीलिये नरेन्द्र सिंह नेगी उत्तराखंड जाने वालों को सलाह देते हैं कि “मेरा डांडी काण्ठियों का मुलुक जैल्यु, बसन्त रितु मा जैयि” अर्थात अगर मेरे पहाड़ी देश में जाना तो बसन्त ऋतु में ही जाना और फिर वह इसके पीछे के कारणों को भी बताते हैं। लगता है यह गीत हर पहाड़ी व्यक्ति की भावना का गीत है क्योंकि यह सब बातें पूरे उत्तराखंड…

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माछी पाणी सी ज्यू तेरु मेरु

"माछी-पाणी सी ज्यू तेरु मेरु " …यह एक विरह रस का बहुत ही प्यारा गाना है। इस गाने के दो वीडियो रिलीज हुए हैं। पहले वीडियो में इस गीत को नरेन्द्र सिंह नेगी और मीना राणा द्वारा गाया गया है। यह गीत एलबम "ठंडो रे ठंडो" से लिया गया है और इसके ऑडियो और वीसीडी टी सीरीज पर उपलब्ध हैं। दूसरा वीडियो "रुमुक" एलबम में है, हर अन्तरे में अलग नायक-नायिकाओं के साथ। तब इस गीत में सहगायिका अनुराधा निराला जी हैं। इस वीडियो के ऑडियो-वीडियो राइट्स रामा कैसेट्स के…

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कख लगाण छुईं, कैमा लगाण छुईं

उत्तराखण्ड के पहाड़ों की सुन्दरता का बखान तो सभी करते हैं।  इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुन्दरता है ही ऐसी कि इसको महिमामण्डित करते हुए कई कवियों और लेखकों ने अनगिनत रचनाएं की हैं। लेकिन इस सुन्दरता के पीछे पहाड़वासियों का दर्द भी छिपा है जो आमतौर पर लोगों को नहीं दिखता। पहाड़ की कठिन भौगोलिक परिस्थितियां जीवन को कष्टसाध्य बनाती हैं और आम आदमी को जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिये भी काफी संघर्ष करना पड़ता है।  इन्हीं कष्टों, दुखों से बचने और जीविका अर्जन कर बेहतर जीवन की तलाश…

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कू भग्यान होलू डांड्यू मां….

“कु भग्यान होलू डांड्यू मा” नरेन्द्र सिंह नेगी व  द्वारा गाया बहुत ही सुरीला गाना है।  जिसमें बांसुरी की मधुर धुन के बीच एक युगल का सहज वार्तालाप है। भावार्थ : एक युवक और युवती पहाड़ों के प्राकृतिक वातावरण को निहारते हुए अपने रास्ते चले जा रहे हैं तभी उनके कानों में बांसुरी की मधुर धुन सुनाई देती है। धुन को सुनकर युवती के मन में उस बंशी बजाने वाले के बारे में जानने की उत्सुकता पैदा हो जाती है। वह जानना चाहती है कि वह कौन है जो दिल…

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