तेरो मछोई गाड़ बागीगे ले खाले अब तो माछा

नेगी जी के गानों की विशिष्टता यह भी है कि उनके गानों में सामान्य जनजीवन के सभी रंग समाहित है। अब इस व्यंगात्मक गाने को ही लीजिये, एक महिला को मछली के व्यंजन खाने का भारी शौक है बिचारी का मछुआरा पति उसके भोजन के लिये मछली मारने के प्रयास में नदी में डूब  जाता है और लोग उसको नदी में ढूंढने का प्रयास करते हैं और महिला के चटोरेपन पर ताने भी कसते जाते हैं कि किस तरह उसके मछली खाने के शौक के चलते उसका पति पानी की…

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कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी

नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने गीतों के जरिये समाज के विभिन्न पहलुओं को भी समय समय पर छुआ है। “कन क्वै खेचण अब भारी गरि ह्वै गै जिन्दगी” उनका एक ऐसा ही गीत है जिसमें उन्होने बढ़ती मँहगाई से त्रस्त एक व्यक्ति का चित्रण किया है। यह गीत “माया को मुंडारो” नामक वीसीडी से लिया गया है और इस गीत के ऑडियो और वीडियो अधिकार हिमालयन फिल्म्स के पास है। यदि आपको को पसंद आए तो मूल सीडी/वीसीडी खरीदें। इस चित्रगीत के निर्देशक श्री अनिल बिष्ट हैं। भावार्थ : कैसे…

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नारंगी की दाणि ओ..

यह गाना उत्तराखंड की परिस्थितियों और वहाँ महिलाओं की स्थिति का सटीक चित्रण करता है। इस गीत में पुरुष स्वर नरेन्द्र सिंह नेगी और महिला स्वर अनुराधा निराला का है। ऐसा लगता है कि इस गाने में जो महिला है वह उन की उन सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती है जिनके पति बेहतर भविष्य की तलाश में अपने परिवार को छोडकर मैदानी महानगरों में नौकरी करने को मजबूर हैं। लेकिन अन्तिम पंक्तियों में पूछा गया उसका सवाल भी शायद पलायन की चिरस्थाई समस्या की तरह ही अनसुलझा रह जायेगा। भावार्थ…

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