कैसा हो स्कूल हमारा: गिरीश तिवारी ‘गिर्दा’

कैसा हो स्कूल हमारा जहां न बस्ता कंधा तोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां न अक्षर कान उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां न भाषा जख़्म उघाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा कैसा हो स्कूल हमारा जहां अंक सच-सच बतलाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां प्रश्न हल तक पहुंचाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां न हो झूठ का दिखव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा जहां न सूट-बूट का हव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा कैसा हो स्कूल हमारा जहां किताबें निर्भय बोलें, ऐसा हो…

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जैता एक दिन तो आलो, ऊ दिन यो दुनी में

नरेन्द्र सिंह नेगी जी मुख्यत: गढ़वाली भाषा में ही गाने गाते हैं लेकिन उनके प्रशंसकों को उनके गाये गये कुमाऊंनी और जौनसारी गीतों के बारे में जानने की बेहद उत्सुकता रहती है। आज हम उन्ही के द्वारा गाया एक कुमाँऊनी गाना प्रस्तुत कर रहे हैं। यह गाना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस गीत को  मशहूर संस्कृतिकर्मी व जनकवि गिरीश तिवारी “गिर्दा” ने लिखा है। भविष्य में भयमुक्त, उदार समाज की कल्पना करते हुए लिखा गया “गिर्दा” का यह गीत नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने अपनी कैसेट “उत्तराखण्ड रैली मां”…

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