छबीलो गढ़वाल मेरो,रंगीलो कुमाँऊं…

उत्तराखंड की भूमि जहां एक और अपने सुन्दरता के लिये प्रसिद्ध है वहीं यह वीरों, क्रांतिकारियों की भूमि भी रही है। इन दोनों बातों को गोपाल बाबू गोस्वामी ने अपने एक बहुत ही प्रसिद्ध गाने में बखूबी रखा है। “छबीलो गढ़वाल मेरो, रंगीलो कुमाँऊं” आज एक ऐसा जुमला है पूरे उत्तराखंड के सौन्दर्य को दर्शाने के लिये प्रयुक्त किया जाता रहा है। आइये आज इसी गीत के बारे में जानते हैं। गीत का भावार्थ : मेरे महान देश भारत और देवभूमि उत्तराखंड की धरती को शत शत प्रणाम। हिमालय की…

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