पी जाओ म्यॉर पहाड़ को ठंडो पानी

गोपाल बाबू गोस्वामी द्वारा गाया गाना “पी जाओ, पी जाओ, म्यॉर पहाड़ को ठंडो पाणी” लोगों को अपने पहाड़ की याद दिलाता है।  पहाड़ का प्राकृतिक वातावरण होता ही इतना सुन्दर है कि पहाड़ लोगों की स्मृतियों में हमेशा ज़िन्दा रहता है। पहाड़ के लोग पहाड़ में शहर को खोजते हैं और एक बार शहर पहुंच जाते हैं तो वहाँ पहाड़ को। हिमालय जो देवभूमि है, देवता जहां निवास करते हैं उसी की सुन्दरता दिखाता हुआ गाना है यह। भावार्थ : आओ मेरे पहाड़ का शीतल जल पी जाओ। मेरे…

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छाना बिलौरी कै भलो लांगुं, छाना बिलौरी का ज्वाना

कुमाऊंनी भाषा का एक बहुत पुराना लोकगीत है – “छाना बिलौरी झन दिया बौज्यू, लागनि बिलोरिक घाम“। इस गाने में एक युवती अपने पिता से मनुहार करती है कि उसकी शादी छाना बिलौरी नामक गांव/इलाके में न की जाये क्योंकि वहाँ अनेक प्रकार के कष्ट है और सबसे मुश्किल बात यह है कि तेज धूप पड़ने के कारण वहाँ गरमी होती है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस नकारात्मक गाने को झूठलाते हुए छाना-बिलौरी इलाके की प्रशंसा करते हुए एक गाना रचा – “दी दिया बौज्यू छाना…

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मालुरा हरियालु डांना का पार

गोपाल बाबू गोस्वामी का गाया एक सुरीला व प्रचलित गीत है “मालुरा हरियालु डांना का पार” । आज इसी गीत की चर्चा करते हैं। यह गाना भी कई रूपों में मिलता है. यहाँ पर जो गाना प्रस्तुत किया जा रहा है उसमें कुल छ्ह अंतरे हैं जिसमें दो अंतरे दो बार गाये गये हैं यानि देखा जाये तो केवल चार ही अलग अंतरे हैं। भावार्थ : एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ऊंची ऊंची व हरी भरी चोटियों के पार जाने की जिद कर रहा है। प्रेमिका को वह प्यार से…

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ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा

उत्तराखंड का एक बहुप्रचलित और लोकप्रिय गीत है “ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा” जो लगभग हर शादी ब्याह में महिला संगीत या महिला होली में गाया जाता है। इस गीत में जीजा-साली के बीच की प्यार भरी नौंक-झौंक का वर्णन है जैसा कि एक अन्य गाने “रुपसा रमौती घुंघुंर नी बाजा” में भी मिलता है। इस गीत में एक जीजा अपनी साली को लेकर द्वाराहाट (उत्तराखंड में रानीखेत के पास एक जगह)  मेले में जाना चाहता है लेकिन साली वहां ना जाने के लिये कई तरह के बहाने बना…

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काली गंगा को कालो पाणी

पिथौरागढ़ जिले में एक नदी बहती है जिसे काली गंगा भी कहा जाता है। इस नदी को शारदा नदी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता कि देवी काली के नाम से इसका नाम काली गंगा पड़ा। काली नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की…

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ठुमका लगाली बाबा, ठुमका लगाली

गोपाल बाबू गोस्वामी ने एक गाना गाया था जो उन्होने एक बेटी के स्कूल जाने को तैयार करने के लिये गाया था। आज प्रस्तुत है वही गाना। भावार्थ : मेरी बेटी ठुमका लगा लगा के नाचेगी और स्कूल जायेगी। वह स्कूल में “अ आ ई ई…….अ:” पढ़ेगी। “a b c d —z”  पढ़ेगी। अ माने अमरुद, आ माने आम, इ माने इमली, उ माने उखल पढ़ेगी। a for apple, b for bat , c for cat, d for dog पढ़ेगी। बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनेगी। मेरी  बेटी ठुमका लगा…

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अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे

गोपाल बाबू गोस्वामी का एक मशहूर गाना है “अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे”। इस गाने में एक मेले में गये पति-पत्नी के बीच की नौंक-झौंक है। द्वाराहाट के पास एक जगह है स्याल्दे। य़हां वैसाख माह की पहली तिथि को प्रसिद्ध शिव मंदिर विभाण्डेश्वर में एक मेला लगता है जिसमें दूर-दूर गावों से लोग आते हैं। इसी मेले का नाम है बिखौती मेला। इसी मेले का वर्णन इस गीत में किया गया है। एक पति-पत्नी इस मेले में आये हुए हैं वहां पत्नी अपनी पुरानी सहेलियों के मिल जाने…

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