पतई कमर तिरछी नजर..हाय हाय रे मिजाता..

गोपाल बाबू गोस्वामी का एक गाना है “पतई कमर तिरछी नजर” जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के रूप के साथ साथ उसके फैशन की भी तारीफ करता है। यह गाना उस समय लिखा गया था जब पहाड़ों में नये जमाने का फैशन नहीं था। उस समय आंखों का धूप का चश्मा, लिपस्टिक, नेल पॉलिश, हाथ की घड़ी फैशन की नयी नयी चीजों में शामिल था इसलिये उन सभी चीजों के बारे में इस गाने में बताया गया है। फिल्म बरसात (1949) में एक गाना था “पतली कमर है, तिरछी नजर…

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हाय सुपारी खाय-खाय सुण माया, क्या रामरो घाम लाग्यो छ

‘हाय सुपारी खाय-खाय सुण माया’ गोपाल बाबू गोस्वामी जी द्वारा गाया हुआ गीत है। इसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के रूप की प्रसंशा कर रहा है। इसमे एक शब्द ‘रामरो’ का प्रयोग किया गया है। जो मूलत: नैपाली भाषा का शब्द है। इसका अर्थ है अच्छा, ठीक,खुशगवार। भावार्थ : हाय सुपारी खाकर यह धूप कितनी खुशनुमा लग रही है। वो दूर देवी के मंदिर में मैने दूध चढ़ावा है, तेरे प्यार में मेरा दिमाग पगलाया है। चमकते गिलास में दमकती चाय है, तेरे मेरे प्यार से दुनिया जलती जाय है।…

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ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा

उत्तराखंड का एक बहुप्रचलित और लोकप्रिय गीत है “ओ भिना कस के जानू द्वारिहाटा” जो लगभग हर शादी ब्याह में महिला संगीत या महिला होली में गाया जाता है। इस गीत में जीजा-साली के बीच की प्यार भरी नौंक-झौंक का वर्णन है जैसा कि एक अन्य गाने “रुपसा रमौती घुंघुंर नी बाजा” में भी मिलता है। इस गीत में एक जीजा अपनी साली को लेकर द्वाराहाट (उत्तराखंड में रानीखेत के पास एक जगह)  मेले में जाना चाहता है लेकिन साली वहां ना जाने के लिये कई तरह के बहाने बना…

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काली गंगा को कालो पाणी

पिथौरागढ़ जिले में एक नदी बहती है जिसे काली गंगा भी कहा जाता है। इस नदी को शारदा नदी के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता कि देवी काली के नाम से इसका नाम काली गंगा पड़ा। काली नदी का उद्गम स्थान वृहद्तर हिमालय में ३,६०० मीटर की ऊँचाई पर स्थित कालापानी नामक स्थान पर है, जो भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले में है। इस नदी का नाम काली माता के नाम पर पड़ा जिनका मंदिर कालापानी में लिपु-लेख दर्रे के निकट भारत और तिब्बत की…

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ठुमका लगाली बाबा, ठुमका लगाली

गोपाल बाबू गोस्वामी ने एक गाना गाया था जो उन्होने एक बेटी के स्कूल जाने को तैयार करने के लिये गाया था। आज प्रस्तुत है वही गाना। भावार्थ : मेरी बेटी ठुमका लगा लगा के नाचेगी और स्कूल जायेगी। वह स्कूल में “अ आ ई ई…….अ:” पढ़ेगी। “a b c d —z”  पढ़ेगी। अ माने अमरुद, आ माने आम, इ माने इमली, उ माने उखल पढ़ेगी। a for apple, b for bat , c for cat, d for dog पढ़ेगी। बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनेगी। मेरी  बेटी ठुमका लगा…

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रंगीली चंगीली पुतई जसी

यदि आपको अपनी श्रीमती जी को सुबह सुबह जगाना हो तो आप क्या करेंगे? यदि आपको कुछ ना सूझ रहा हो तो एक तरीका है कि आप कोई गाना गाएं और ऐसा गाना गोपाल बाबू गोस्वामी का रंगीली चंगीली पुतई जसी से बेहतर क्या हो सकता है। इसमें एक व्यक्ति सुबह सुबह अपनी सोई हुई पत्नी को जगा रहा है। वह इतनी खूबसूरत उपमाओं से अपनी पत्नी को संबोधित कर रहा है और उसकी मिन्नतें कर रहा है कि श्रीमती जी भी मन ही मन मुस्कुरा रही होंगी। गीत का…

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अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरे गे

गोपाल बाबू गोस्वामी का एक मशहूर गाना है “अल्खते बिखौती मेरी दुर्गा हरै गे”। इस गाने में एक मेले में गये पति-पत्नी के बीच की नौंक-झौंक है। द्वाराहाट के पास एक जगह है स्याल्दे। य़हां वैसाख माह की पहली तिथि को प्रसिद्ध शिव मंदिर विभाण्डेश्वर में एक मेला लगता है जिसमें दूर-दूर गावों से लोग आते हैं। इसी मेले का नाम है बिखौती मेला। इसी मेले का वर्णन इस गीत में किया गया है। एक पति-पत्नी इस मेले में आये हुए हैं वहां पत्नी अपनी पुरानी सहेलियों के मिल जाने…

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