छाना बिलौरी कै भलो लांगुं, छाना बिलौरी का ज्वाना

कुमाऊंनी भाषा का एक बहुत पुराना लोकगीत है – “छाना बिलौरी झन दिया बौज्यू, लागनि बिलोरिक घाम“। इस गाने में एक युवती अपने पिता से मनुहार करती है कि उसकी शादी छाना बिलौरी नामक गांव/इलाके में न की जाये क्योंकि वहाँ अनेक प्रकार के कष्ट है और सबसे मुश्किल बात यह है कि तेज धूप पड़ने के कारण वहाँ गरमी होती है। उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी ने इस नकारात्मक गाने को झूठलाते हुए छाना-बिलौरी इलाके की प्रशंसा करते हुए एक गाना रचा – “दी दिया बौज्यू छाना…

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छैला ओ मेरी छ्बीली..ओ मेरी हेमामालिनी

गोपाल बाबू गोस्वामी ने तरह तरह के गाने गाये हैं। उनका एक गाना है ” छैला ओ मेरी छ्बीली ओ मेरी हेमामालिनी ” जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका की तुलना हेमामालिनी से करता है। निश्चित रूप से तब हेमामालिनी ड्रीम-गर्ल रही होंगी इसलिये प्रेमी अपनी प्रेमिका की तुलना ड्रीम-गर्ल से कर रहा है। आपने “रंगीली चंगीली पुतई जसी” गाने में देखा होगा की प्रेमिका की तुलना किस तरह से अनेक फलों और स्थानीय चीजों से की जाती है वैसे ही इस गाने में भी प्रेमिका की तुलना हेमामालिनी के अलावा…

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पतई कमर तिरछी नजर..हाय हाय रे मिजाता..

गोपाल बाबू गोस्वामी का एक गाना है “पतई कमर तिरछी नजर” जिसमें एक प्रेमी अपनी प्रेमिका के रूप के साथ साथ उसके फैशन की भी तारीफ करता है। यह गाना उस समय लिखा गया था जब पहाड़ों में नये जमाने का फैशन नहीं था। उस समय आंखों का धूप का चश्मा, लिपस्टिक, नेल पॉलिश, हाथ की घड़ी फैशन की नयी नयी चीजों में शामिल था इसलिये उन सभी चीजों के बारे में इस गाने में बताया गया है। फिल्म बरसात (1949) में एक गाना था “पतली कमर है, तिरछी नजर…

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