धार मां कु गेणुं पार देख ऐ गे

इस साइट पर आप इससे पहले नरेन्द्र सिंह नेगी जी का गाना “मुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू” सुन चुके हैं, जिसमें एक युवती जंगलों के पौधों को अपना मित्र मानते हुए उनसे अपने दिन की बात कह रही है। इसी तरह जंगलों में अपने मवेशियों को चराने गये दल के एक पुरुष और महिला के बीच हुई बातचीत पर आधारित है नेगी जी का यह गाना। रुमुक (शाम का धुंधलका) आ जाने पर जब सभी जानवर घरों की तरफ लौट पड़े तो लछी नाम की महिला अपनी गाय को ढूंढते…

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