मालुरा हरियालु डांना का पार

गोपाल बाबू गोस्वामी का गाया एक सुरीला व प्रचलित गीत है “मालुरा हरियालु डांना का पार” । आज इसी गीत की चर्चा करते हैं। यह गाना भी कई रूपों में मिलता है. यहाँ पर जो गाना प्रस्तुत किया जा रहा है उसमें कुल छ्ह अंतरे हैं जिसमें दो अंतरे दो बार गाये गये हैं यानि देखा जाये तो केवल चार ही अलग अंतरे हैं। भावार्थ : एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ऊंची ऊंची व हरी भरी चोटियों के पार जाने की जिद कर रहा है। प्रेमिका को वह प्यार से…

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