पिछ्ले भाग में हमने देखा कि किस प्रकार शहर की भागमभाग ज़िंदगी मनुष्य को तनाव से भर देती है और मनुष्य अपनी याद्दास्त भी खोने लगता है। लेकिन, क्या इस स्थिति से बचने का कोई रास्ता है? कई मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ‘हां है।’ मिशिगन विश्विद्यालय के मनोविज्ञानी स्टेफेन कैप्लान द्वारा विकसित ‘आर्ट’ यानी अटेंशन रेस्टोरेशन थ्योरी इसका रास्ता है। और, कैप्लान ने जो रास्ता सुझाया, वह है प्रकृति की शरण लेना। कल्पना कीजिए कि कहीं कोई साफ-सुथरी झील है। उसके आसपास नाना प्रकार के पेड़-पौधों की हरियाली बिखरी…
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मन क्यों परेशान है इस शहर में
अब तक हम सिर्फ सुनते और अनुभव करते थे कि शहर में जिंदगी बेहद तनाव भरी होती है। लेकिन, अब वैज्ञानिकों ने शोध से साबित कर दिया है कि यह सच है। सच है कि शहर की व्यस्त सड़कें और भीड़ भरे बाजार हमारे दिलो-दिमाग को लगातार बीमार बना रहे हैं। शहर में फैले कंक्रीट के जंगल के किसी कोने में, कहीं किन्हीं ऊंची इमारतों के बीच किसी फ्लैट या अपार्टमेंट में एक टुकड़ा हरियाली, धूप और आसमान के लिए तरसती जिंदगी हमें हरदम तनाव से भरती रहती है। अब…
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