फसलें और त्यौहार

[देवेन्द्र मेवाड़ी जी द्वारा सुनाये गये कई किस्से आप पढ़ चुके हैं हाल ही में उन्होंने गोरु बाछों के बारे में हमार गोरू-बाछ और चिंगोरे हुए हाथ.. , ब्वाँश, बाघ, मूना और “पैजाम उतार पैजाम”…. , बेचारा गुजारा … , गाय-भैंस का ब्याना और बिगौत का खाना.. जैसे किस्से सुनाये। फसलों और त्यौहारों की कहानी का पहला भाग आप पढ़ चुके है। आज प्रस्तुत है दूसरा व अंतिम भाग : प्रबंधक] उधर दक्षिण भारत में फसलों के स्वागत में ‘पोंगल’ का त्योहार मनाया जाता है। नए बर्तन में ताजा दूध…

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