[हमारे साथ नये जुड़े श्री उमेश तिवारी ‘विश्वास की दाज्यू कथा का पहला भाग व दूसरा भाग आपने पढ़ा। उनकी एक और रचना भिंज्यू-कथा का पहला भाग भी आप पढ़ चुके हैं आज प्रस्तुत है उसी भिंज्यू कथा का दूसरा भाग – प्रबंधक ] ऐसा नहीं है कि भिनज्यू की भूमिका हल्की-फुल्की ही हो, ससुराल के कई महत्वपूर्ण मसलों पर उनकी राय ली जाती है। कई बार ये मामले इतने गंभीर होते हैं कि उन्हें अपनी एफ.डी. तुड़ानी पड़ती है। घर-वर के चयन में निर्णायक स्वीकारोक्ति या ना-नकुर सम्प्रेषित करनी…
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भिनज्यू : हरफनमौला.. हरफन अधूरा
[हमारे साथ नये जुड़े श्री उमेश तिवारी ‘विश्वास की दाज्यू कथा का पहला भाग व दूसरा भाग आपने पढ़ा। आज प्रस्तुत है उनकी एक और रचना भिंज्यू-कथा का पहला भाग – प्रबंधक ] भिनज्यू एक आम पहाड़ी परिवार में एक विशिष्ट छवि लिए रहते हैं। उनकी यह छवि बरसों बरस से चले आ रहे पारस्परिक व्यवहार से बनी है। जैसे संसद में लोकसभा अध्यक्ष की। अन्यत्र उनका नाम चाहे कितनी ही बेअदबी से लिया जा रहा हो, भिनज्यू के रूप में संबोधित होते ही उनके अन्दर टूटा हुआ कॉच का…
Read More‘धाकड़’ दाज्यू आप चिरंजीवी हो…..
[हमारे साथ नये जुड़े श्री उमेश तिवारी ‘विश्वास की दाज्यू कथा का पहला भाग आपने पढ़ा। अब प्रस्तुत है दूसरा भाग। – प्रबंधक ] आपको लग रहा होगा कि हर छोटा भाई कभी न कभी दाज्यू बनता ही होगा। पर ये ‘सास भी कभी बहू थी’ वाला फार्मूला यहां फिट नहीं बैठता। हर एक भइयू, भुली या कुतानू; दाज्यू नहीं बनता। निरे प्रतिभाशाली ही, दाज्यू के रूप में स्थापित होते गये हैं। उनकी एक पृष्ठभूमि होती है। समाजशास्त्री इसे ‘वैल्यू ओरिएंटेशन इन ए सोसियल सिस्टम’ बताते हैं। जैसे पूत के…
Read Moreअथ दाज्यू गाथा : प्रेम में पागल दाज्यू
[आज से हमारे साथ जुड़ रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार श्री उमेश तिवारी ‘विश्वास’। आइए उनकी रचना ‘अथ दाज्यू कथा’ का आनन्द लें। आशा है आपको पसंद आयेगी।- प्रबंधक] दाज्यू बोले तो, भाई जी या बड़ा भाई। बचपन में मुंशी प्रेमचन्द्र की कहानी बड़े भाई साहब पढ़ी थी। उनके दाज्यू को बाद में कई हिन्दी फिल्मों में देखता रहा। जैमिनी से ए.व्ही.एम. के बैनरों में, बलराज साहनी से अभिताभ बच्चन के किरदारों में उनकी छवि मिलती रही। अलबत्ता फिल्मी दाज्यू फेल होने के बजाय फर्स्ट क्लास फर्स्ट आते रहे और छोटे…
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