जी रे जागि रे, जुगराज रे तू- जी रे

तेजी से बदलते भारतीय समाज में अन्य भारतीय परम्पराओं के साथ- साथ संयुक्त परिवार का ताना-बाना भी टूटता जा रहा है। कैरियर और प्रतिस्पर्धा के पीछे भागते-भागते आज का युवावर्ग अपने माता-पिता के रूप में किस अमूल्य निधि का तिरस्कार करता है, उसे आभास नहीं हो पाता। बड़े शहरों में ऐसे कई बुजुर्गों की कहानी सुनने को मिलती है जिनकी सन्तानें उन्हें अकेले छोड़कर या वृद्धाश्रम में धकेलकर बेरोकटोक, स्वतन्त्र जीवन जीने का रास्ता चुनते हैं और अन्तत: ऐसे बुजुर्ग या तो अपने नौकरों के हाथों मारे जाते हैं या…

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रोग पुराणु कटे ज़िन्दगी नई ह्वैगे, तेरु मुल – मुल हैंसुणु दवाई ह्वैगे

नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बहुत से प्रेम-गीत गाये हैं लेकिन उनके गाये कुछ प्रेम गीत ऐसे  हैं जिसमें प्रेम को लेकर एक नये तरीके के उपमानों का प्रयोग किया गया है उदाहरण के लिये उनके गाये त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु को ही लें जिसमें उन्होने प्रेमिका के रूप की आँच से प्रेमी के मक्खन रूपी हृदय के गलने की बात कही थी। आज प्रस्तुत है उसी तरह का एक गीत जिसमें प्रेमिका का मंद मंद मुस्कुराना प्रेमी के लिये दवाई बन जाता है। इस…

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