युवा पीढी के जोशीले स्वभाव और बेपरवाह रवैये से सम्बन्धित नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक गाना पहले भी इस साइट पर उपलब्ध कराया गया है, आज प्रस्तुत है इसी से मिलता जुलता नेगी जी का एक और गाना। इस गाने के माध्यम से नेगी जी ने पुरानी और नयी पीढी के स्वभाव, विचारों और भावनाओं के बीच पैदा हुए अन्तर को बखूबी दिखाया है। इस दौर में पहाड़ की नई पीढी पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करते हुए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बहुत तेजी से भुलाती जा रही है…
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प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये..बेटी ब्वारी पहाड़ू की बेटी ब्वारी
अपने परिवार के हित व सुखों के लिये अपने सारे ऐशो-आराम छोड़कर सारा दिन जंगलों और खेतों में मेहनत-मजदूरी करना ग्रामीण पहाड़ी महिलाओं की दिनचर्या रही है। इस विषय पर कई लेख, कविताएं, किताबें और शोध किये जा सकते हैं लेकिन नरेन्द्र सिंह नेगी जी का यह गाना ही पहाड़ी महिलाओं की कष्टप्रद जिन्दगी का एक स्पष्ट चित्र सामने रखने के लिये पर्याप्त है। इस अन्यन्त भावुक गाने को सुनते-सुनते पता नहीं कितने लोगों की आंखों में आंसूं टपके होंगे, इसका अन्दाजा लगाना सम्भव नही है। नरेन्द्र सिंह नेगी जी…
Read Moreकारगिले लड़ै मां छौऊं…तू उदास न ह्वै मां….
उत्तराखण्ड में सैन्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब अंग्रेजों ने गढवाल-कुमांऊं में अपना राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किया तो वह यहाँ के यौद्धाओं से बहुत प्रभावित हुए और गढवाल-कुमाऊँ के साथ-साथ नेपाल के गोरखाओं को भर्ती में विशेष रियायतें देकर सेना में शामिल किया। उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों ने प्रथम व द्वितीय विश्व में अपने शौर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। अंग्रेजों के समय ही गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट का गठन किया गया। स्वतन्त्र भारत के सभी युद्धों में गढवाल…
Read Moreबन्दुक्या जसपाल राणा, सिस्त साधिदे – निसाणु साधि दे
नरेन्द्र सिंह नेगी जी उत्तराखंड के आम लोगों की दिनचर्या और उनकी पीड़ाओं के बारे बहुत से गीत गाये हैं। उत्तराखंड में बाघ का आतंक हमेशा से रहा है। साधारणतया बाघ पालतू गाय, बकरी व अन्य जानवरों का शिकार कर लोगों का नुकसान करता है लेकिन बाघ के आदमखोर हो जाने से उसके द्वारा कई मनुष्यों, घास लेने गयी महिलाओं व छोटे बच्चों को भी अपना शिकार बनाया जाता रहा है। जंगल गयी एक युवती सुमा को आदमखोर बाघ द्वारा अपना शिकार बनाये जाने को लेकर एक बहुत ही मार्मिक…
Read Moreमुल-मुल कैकु हैंसणि छै तू
पहाड़ के ग्रामीण परिवेश में रहने वाली महिलाओं की कष्टप्रद जिन्दगी को आधार बना कर गाये गये नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाने पहले भी “अपना उत्तराखंड” पर आपके लिये पेश किये गये हैं। आज इसी विषय पर नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक गाना प्रस्तुत है। इस गाने में एक ऐसी युवती के दिल की बातें हैं जिसने पिछली रात को अपनी शादी के बारे में एक सुन्दर सपना देखा है। अब चुंकि उसकी दिनचर्या का एक बड़ा हिस्सा जंगलों में घास काटने में ही व्यतीत होता है इसलिये…
Read Moreहौंसिया उमर च मेरि कुछ ना बोल मैंकूं
युवावस्था एक ऐसा बहता दरिया है जो अपनी ताकत के सामने किसी को कुछ नहीं समझता। युवा अपने यौवन को अपनी तरह से अपनी शर्तों पर जीना पसंद करता है। इस मामले में उसे किसी की रोक-टोक भी पसंद नहीं। ऊँचे सपने लिये, संसार-समाज को बदलने का जोश लिये, बिना किसी चीज की परवाह किये बिना जिये जाने का नाम ही जवानी है। नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने भी अपने एक गाने में युवाओं के इस जज़्बे को अपने स्वर दिये हैं। नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गानों में यह…
Read Moreमेरा औंण से हर्ष हो कै त ह्वैल्यो
नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने प्रेमी-प्रेमिका को लेकर बहुत से गाने गाये हैं। जैसे “माछी पाणी सी ज्यू” या “तेरी रूप की झौल मा” लेकिन इनमें से अधिकतर गाने प्रेमी-प्रेमिका के संयोग पर ही हैं, यानि वे गाने जिनमें मिलन की खुशी है। आज हम एक ऐसा गाना प्रस्तुत कर रहे हैं जो वियोग व विरह का गाना है। यह गाना बहुत ही मधुर बन पड़ा है, वैसे कहा भी गया है ना ” हैं सबसे मधुर वो गीत जिन्हें हम दर्द के स्वर में गाते हैं ” । इस…
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