भलु लगुदु भनुलि तेरु माठु-माठु हिटणु हेss भलु लगुदु

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाये सैकड़ों गीतों में यह युगल गीत अपेक्षाकृत नया माना जा सकता है । यह उनकी सर्वाधिक बिक्री होने वाली वीडियो सीडी "नौछमी नरैण" में रिलीज हुआ था। इस गीत के बोल बाजूबन्द शैली के कवित्त में लिखे गये हैं, इस तरह के बोलों को "जोड़" भी कहा जाता है। इन गानों में अन्तरों की प्रथम पंक्ति का उपयोग केवल तुक (जोड़) मिलाने के लिये होता है। दूसरी पंक्ति सार्थक होती है लेकिन प्रथम पंक्ति का दूसरी पंक्ति से कोई संबन्ध जुड़े यह जरूरी नहीं…

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परसि बटि लगातार, बारि-बारि कू बुखार, चड़्यू च रे डाग्टार, मोर्दु छौं उतार-उतार

नरेन्द्र सिंह नेगी जी के गाये गये सैकड़ों गीतों में हर शैली के गीत उपलब्ध हैं। इन गीतों में बहुत विविधताएं देखने को मिलती है, लेकिन सभी गीत मानवीय भावों के उत्कृष्ट चित्रण, सुन्दर बोलों और मधुर संगीत से सजे हैं। प्रस्तुत गीत नेगी जी ने “छिबराट” नामक आडियो कैसेट में गाया था। यह मजेदरा गीत भी अपने आप में अनोखा है – एक बुजुर्ग महाशय अपने खराब स्वास्थ्य को ठीक करने की पूरी जिम्मेदारी एक डाक्टर को सौंपने की इच्छा रखते हैं। लेकिन वो खान-पान आदि का परहेज रखने…

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ज्यू त यन बौनूं च आज नाच नाचि की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी और अनुराधा निराला जी की आवाज में यह प्रसिद्ध युगल गीत प्रस्तुत है। प्रेमी-प्रेमिका के लम्बे बिछोह के बाद मिलने पर  उनके हृदय की प्रसन्नता, एक दूसरे के निकट रहने की चाह और समर्पण की भावना को दर्शाता यह गाना नेगी जी के कई अन्य गानों की तरह बहुत पुराना और सदाबहार गाना है। प्रेम में डूबे हुए प्रेमी युगल इस गाने के माध्यम से एक-दूसरे के प्रति गहरे प्यार का इजहार कर रहे हैं और इस प्रेम को अक्षुण्ण रखने का संकल्प भी ले रहे…

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नया जमाना का छोरों कन उठि बौल – तिबरी डाण्डैल्युं मां रॉक ऐंड रॉल

युवा पीढी के जोशीले स्वभाव और बेपरवाह रवैये से सम्बन्धित नरेन्द्र सिंह नेगी जी का एक गाना पहले भी इस साइट पर उपलब्ध कराया गया है, आज प्रस्तुत है इसी से मिलता जुलता नेगी जी का एक और गाना। इस गाने के माध्यम से नेगी जी ने पुरानी और नयी पीढी के स्वभाव, विचारों और भावनाओं के बीच पैदा हुए अन्तर को बखूबी दिखाया है। इस दौर में पहाड़ की नई पीढी पाश्चात्य सभ्यता का अनुकरण करते हुए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बहुत तेजी से भुलाती जा रही है…

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प्रीत की कुंगली डोर सी छिन ये..बेटी ब्वारी पहाड़ू की बेटी ब्वारी

अपने परिवार के हित व सुखों के लिये अपने सारे ऐशो-आराम छोड़कर सारा दिन जंगलों और खेतों में मेहनत-मजदूरी करना ग्रामीण पहाड़ी महिलाओं की दिनचर्या रही है। इस विषय पर कई लेख, कविताएं, किताबें और शोध किये जा सकते हैं लेकिन नरेन्द्र सिंह नेगी जी का यह गाना ही पहाड़ी महिलाओं की कष्टप्रद जिन्दगी का एक स्पष्ट चित्र सामने रखने के लिये पर्याप्त है। इस अन्यन्त भावुक गाने को सुनते-सुनते पता नहीं कितने लोगों की आंखों में आंसूं टपके होंगे, इसका अन्दाजा लगाना सम्भव नही है। नरेन्द्र सिंह नेगी जी…

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कारगिले लड़ै मां छौऊं…तू उदास न ह्वै मां….

उत्तराखण्ड में सैन्य परंपरा का गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में जब अंग्रेजों ने गढवाल-कुमांऊं में अपना राज्य स्थापित करने के उद्देश्य से आक्रमण किया तो वह यहाँ के यौद्धाओं से बहुत प्रभावित हुए और गढवाल-कुमाऊँ के साथ-साथ नेपाल के गोरखाओं को भर्ती में विशेष रियायतें देकर सेना में शामिल किया। उत्तराखण्ड के वीर सैनिकों ने प्रथम व द्वितीय विश्व में अपने शौर्य का बेहतरीन प्रदर्शन किया। अंग्रेजों के समय ही गढवाल राइफल व कुमाऊँ रेजिमेन्ट का गठन किया गया। स्वतन्त्र भारत के सभी युद्धों में गढवाल…

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बन्दुक्या जसपाल राणा, सिस्त साधिदे – निसाणु साधि दे

नरेन्द्र सिंह नेगी जी उत्तराखंड के आम लोगों की दिनचर्या और उनकी पीड़ाओं के बारे बहुत से गीत गाये हैं। उत्तराखंड में बाघ का आतंक हमेशा से रहा है। साधारणतया बाघ पालतू गाय, बकरी व अन्य जानवरों का शिकार कर लोगों का नुकसान करता है लेकिन बाघ के आदमखोर हो जाने से उसके द्वारा कई मनुष्यों, घास लेने गयी महिलाओं व छोटे बच्चों को भी अपना शिकार बनाया जाता रहा है। जंगल गयी एक युवती सुमा को आदमखोर बाघ द्वारा अपना शिकार बनाये जाने को लेकर एक बहुत ही मार्मिक…

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