Religious Dance Folk Songs of Uttarakhand Garhwal

Classification of folk dance song of Uttarakhand Garhwal – 3 [“गढ़वाल के लोक नृत्य गीत” डॉ शिवानन्द नौटियाल द्वारा लिखी हुई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसी पुस्तक की समीक्षा श्री भीष्म कुकरेती जी द्वारा की गयी है। इस पुस्तक समीक्षा को एक श्रंखला के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस श्रंखला के माध्यम से आप उत्तराखंड-गढ़वाल के सांस्क़ृतिक परिदृशय से भी परिचित होंगे।- प्रबंधक] पहला भाग, दूसरा भाग Chapter-2 Religious Dance Folk Songs Uttarakhand-Garhwal is a land of Deities, Gods and Goddesses and there is wide impact of deities,…

Read More

Classification of Folk Dance-Songs of Garhwal by Dr Shivanand Nautiyal-2

[“गढ़वाल के लोक नृत्य गीत” डॉ शिवानन्द नौटियाल द्वारा लिखी हुई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसी पुस्तक की समीक्षा श्री भीष्म कुकरेती जी द्वारा की गयी है। इस पुस्तक समीक्षा को एक श्रंखला के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस श्रंखला के माध्यम से आप उत्तराखंड-गढ़वाल के सांस्क़ृतिक परिदृशय से भी परिचित होंगे।- प्रबंधक] प्रस्तुत है दूसरा भाग। [पहला भाग यहाँ पढ़ें] Taxonomy by Abodh Bandhu Bahuguna (1954): Analysis of Garhwali folk songs started by Abodh Bandhu Bahuguna.Dhunyal (1954) is first work of analyzing and classifying the Garhwali Folk…

Read More

Classification of Folk Dance-Songs of Garhwal by Dr Shivanand Nautiyal-1

[“गढ़वाल के लोक नृत्य गीत” डॉ शिवानन्द नौटियाल द्वारा लिखी हुई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। इसी पुस्तक की समीक्षा श्री भीष्म कुकरेती जी द्वारा की गयी है। इस पुस्तक समीक्षा को एक श्रंखला के रूप में प्रकाशित कर रहे हैं। इस श्रंखला के माध्यम से आप उत्तराखंड-गढ़वाल के सांस्क़ृतिक परिदृशय से भी परिचित होंगे।- प्रबंधक] (Commentary on Garhwal ke Lok Nritya Geet, a Timeless Book on Folk Song-Dance of Garhwal) Late Dr Shivananad Nautiyal is not an unknown name in Garhwali folk literature nor is he unfamiliar in social and…

Read More

यो रखड़ि को त्यौहार: मीना राणा, उमा राणा

नरेन्द्र सिह नेगी जी की आवाज मैं ‘रखड़ी त्यार’ यानि राखी के त्यौहार के बारे में गाया गीत आपने सुना, आज इसी कड़ी में प्रस्तुत है मीना राणा व उमा राणा की आवाज में गाया एक गीत। यह गीत भी काफी मधुर व कर्णप्रिय है। भावार्थ : मेरा प्यारे भाई आज राखी का त्यौहार है, यह बार-बार आता है। इस राखी में हमारा प्यार है, इस प्यार को कभी मत भूलना। भगवान से यही प्रार्थना है कि तुम पर कभी कोई दुख-विपदा ना आये और मेरी उमर भी तुम्हें लगे।…

Read More

रखड़ि कु त्यौहार छ आज: नरेन्द्र सिंह नेगी

रक्षाबन्धन का त्यौहार भारत में लगभग सभी समाजों में मनाया जाता है। गढवाल, उत्तराखण्ड में इस त्यौहार का पुराना प्रचलित नाम “रखड़ि त्यौहार” है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में इस दिन जन्यू-पुन्यूं (जनेऊ पूर्णिमा) मनाई जाती है, जिसमें मंत्रोच्चार के साथ पुरानी जनेऊ को उतारकर नई जनेऊ धारण की जाती है। इसी दिन देवीधूरा का प्रसिद्ध मेला भी लगता है और वहाँ पाषाण युद्ध भी होता है। भाई-बहन के प्यार को समर्पित इस त्यौहार पर नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने एक सुन्दर गाना गाया है। गाने का संगीत अत्यंत मधुर…

Read More

धरती हमरा गढ़वाल की

नरेन्द्र सिंह नेगी जी ने बहुत से ऐसे गाने गाये हैं जो कालजयी हैं, उनको कभी भी सुन लो वो उतने ही प्यारे व मधुर लगते हैं जितने पहली बार सुनने में लगे थे। ऐसा ही एक गाना है “धरती हमरा गढ़वाल की“। इस गाने में उत्तराखंड के एक प्रमुख हिस्से गढ़वाल का जिक्र है और यह भी बताया गया है कि गढ़वाल क्यों इतना महान है। यह गीत ऐलबम “नयु-नयु ब्यो” से लिया गया है इसके ऑडियो व वी.सी.डी. टी.सीरिज पर उपलब्ध हैं। भावार्थ : हमारे गढ़वाल की धरती…

Read More

हिवांलि कांठि चांदि की बणि गैनि

यह नरेन्द्र सिंह नेगी जी का बहुत प्रसिद्ध और पुराना गाना है। सूर्योदय से लेकर सांझ ढलने तक सूरज की सभी अवस्थाओं का बखान करने के साथ ही नेगी जी ने इस गाने में ग्रामीण परिवेश में रह रही महिलाओं की दिनचर्या को भी खूबसूरती से चित्रित किया है। भावार्थ : चमकता हुआ घाम (धूप) बर्फीली चोटियों पर पड़ता है तो ऐसा लगता है मानो हिमाच्छादित यह चोटियां चांदी की बन गईं हो। सबसे पहले (सूरज की पहली किरण) भगवान शिव के धाम, कैलाश पर्वत पर पड़ती है, फिर उसका…

Read More