तारा चन्द्र त्रिपाठी (Tara Chandra Tripathi)
(माताः श्रीमती चन्द्रा त्रिपाठी, पिताः श्री हीराबल्लभ त्रिपाठी)
जन्मतिथि : 24 जनवरी 1938
जन्म स्थान : मझेड़ा, गरमपानी (नैनीताल)
पैतृक गाँव : मझेड़ा जिला : नैनीताल
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 2 पुत्रियाँ
शिक्षा : एम.ए. हिन्दी
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1954 में हाईस्कूल करने के उपरान्त दो साल पश्चिमी अल्मोड़ा वन प्रभाग में काम किया। पता नहीं क्यों विरक्ति हुई। छोड़-छाड़ कर फिर पढ़ने में लग गया। रेंजर नहीं प्रधानाचार्य के पद से वापस लौटा।
प्रमुख उपलब्धियाँ : अपने छात्रों से बहुत स्नेह- साहचर्य मिला और निरन्तर मिल रहा है। उनके साथ तथा अकेले भी उत्तराखण्ड के प्राचीन इतिहास की खोज में व्यापक पदयात्राओं से अपने अंचल को समझने का अवसर मिला। अनेक शोधपूर्ण लेखों के साथ एक पुस्तक ‘उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक भूगोल’ तथा ‘ऑखिन देखी’ ;ललित निबन्ध एवं यात्रा संस्मरणद्ध प्रकाशित। ‘स्थान-नाम व्युत्पत्ति और ऐतिहासिकता’, तथा ‘सिरफिरों को’ (काव्य संकलन) प्रकाशनाधीन।
युवाओं के नाम संदेशः अस्मिता की रक्षा के लिए अपनी जड़ों के प्रति लगाव, उदार दृष्टिकोण और प्रतिबद्धता ज्ञान से अधिक जरूरी है।
विशेषज्ञता : इतिहास, पुरातत्व, नाम-स्थान अघ्ययन।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।