यशोधर मठपाल

यशोधर मठपाल (Yasodhar Mathpal)

(माताः स्व. कांति देवी, पिताः स्व. हरिदत्त मठपाल)

जन्म वर्ष : 1939 जन्म स्थान : नौला

पैतृक गाँव : नौला जिला : अल्मोड़ा

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 3 पुत्र

शिक्षा : पीएच.डी.

प्राथमिक- प्राइमरी पाठशाला, नौला

जूनियर हाईस्कूल- मानिला

हाईस्कूल- मिशन इण्टर कालेज, रानीखेत

इण्टर- वि.ना. सनातन धर्म कालेज, कानपुर

बी.ए.- ज.ना. डिग्री कालेज, लखनऊ

एम.ए.- आगरा विश्वविद्यालय

ललित कला डिप्लोमा- रा. कला शिल्प महाविद्यालय, लखनऊ

पीएच.डी.- पुणे विद्यापीठ पूना

डिप्लोमा- गांधी अध्ययन केन्द्र, लखनऊ,

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः एक ज्योतिषी की सलाह पर उच्च शिक्षा का निर्णय लिया। अन्यथा वीतरागी हो चुका था (1968)। उत्तराखण्ड के जनजातीय समाजों में यह तत्वबोध हुआ कि जो कुछ करना है ;सांस्कृतिक संरक्षण का कार्यद्ध अपने ही क्षेत्र में किया जाय, तभी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल की नौकरी त्याग कर भीमताल में लोक संस्कृति संग्रहालय की स्थापना 1983 में की।

प्रमुख उपलब्धियाँ : तूरीनो (इटली) में 1995 में गुफाकला के विश्व सम्मेलन की अध्यक्षता, वहीं इंटरनेशनल फैडरेशन आफ रॉक आर्ट आर्गनाइजेशन द्वारा मानद डिप्लोमा। 1999 में पुर्तगाल में एशिया-प्रशान्त क्षेत्र के सत्र की सह अध्यक्षता। 2001 में मेजो दे साइन्सेज, पेरिस द्वारा आमंत्रित आचार्य। 1959 में बनारस विश्वविद्यालय द्वारा चित्रकला में प्रान्तीय प्रथम पुरस्कार स्वरूप स्वर्णपदक। 1985 में कन्हैयालाल प्राग दास स्मारक समिति द्वारा कलाश्री। 2000 में अखिल गढ़वाल सभा देहरादून व उत्तरायणी मेला समिति द्वारा अभिनन्दन। उत्तरांचल की प्रथम गणतंत्रदिवस संध्या पर मुख्यमंत्री द्वारा प्रशस्तिपत्र व 25000 रु. का पुरस्कार। प्रागैतिहासिक पुरातत्व व लोक कला संस्कृति पर 19 मौलिक पुस्तकों का सृजन। 200 से अधिक शोध प्रपत्र, कुछ कविता संग्रह भी प्रकाशित विन्ध्यांचल, केरल, आन्ध्र, कनार्टक, उत्तर प्रदेश व उत्तरांचल में 400 से अधिक गुफाओं से आदि मानव की कला का शोधन। कई सहस्र चित्रों का सृजन, देश-विदेशों में 25 एकल चित्र प्रदर्शनियाँ, 15 विश्व सम्मेलनों में भागीदारी। उत्तराखण्ड की काष्ठ कला पर विशेष कार्य।

युवाओं के नाम संदेशः दीपक जब जल उठता है तो उसे टोकरी के नीचे नहीं रखा जाता। कोई न कोई उठा कर ऊंचे दीपदान पर रखेगा ही। विश्वास करो, दीवाल में लगने योग्य पत्थर अधिक दिनों तक धूल में पड़ा नहीं रहता। कोई न कोई उसे ऊंची दीवार पर रखेगा ही।

विशेषज्ञता : पुरातत्च, इतिहास, साहित्य, संग्रहालय.

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