किरन भट्ट टोडरिया

उ.प्र. की ओर से एशियाड 1982 में कथक नृत्य प्रस्तुत किया; एन.सी.सी. बेस्ट कैडेट के रूप में 1983 में गणतंत्र दिवस परेड में हिस्सेदारी तथा उ.प्र. राज्यपाल व राष्ट्रपति द्वारा बेस्ट कैडेट के लिए पुरस्कृत; स्नो स्कीइंग में।1987 की राष्ट्रीय चैंपियन तथा राष्ट्रीय चैंपियन बनने वाली पहली स्थानीय महिला। 1985 से गढ़वाल हिमालय क्षेत्र में पर्वतारोहण व पथारोहण में सक्रिय। अनेक शिखरों में आरोहण। स्वतंत्र रूप से ट्रेवल बिजनेस शुरू करने वाली उत्तराखण्ड की पहली महिला; साहसिक पर्यटन के क्षेत्र में पिछले 14 वर्षों से संलग्न; उत्तरांचल व्यापार प्रतिनिधिमंडल (महिला प्रकोष्ठ) की अध्यक्षा।उत्तराखण्ड गौरव सम्मान, उत्तरांचल का विशिष्ट विभूति सम्मान, साहसिक पर्यटन हेतु विशेष सम्मान, महिला सशक्तीकरण वर्ष सम्मान, उत्तराखण्ड उद्योग व व्यापार मंडल सम्मान।

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बहादुर राम टम्टा

जीवन में नित्य नई चुनौतियों से संघर्ष, क्लर्क के पद से त्यागपत्र देकर पटवारी, पटवारी पद से त्यागपत्र देकर प्रतियोगिता के जरिए पी.सी.एस., पी.सी.एस. से त्यागपत्र देकर भारतीय सीमान्त प्रशासनिक सेवा में शामिल, जो बाद में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विलीन कर दी गयी। आई.ए.एस. से त्यागपत्र देकर उत्तराखण्ड राज्य के लिए संघर्ष व राज्यप्राप्ति।

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दिनेश चन्द्र अवस्थी

30 साल की सेवा में लगभग 1 लाख आपरेशन किये। परिवार नियोजन के लगभग 30 हजार आपरेशन किये। चीन में परिवार कल्याण कार्यक्रम के अन्तर्गत एन.एस.वी. आपरेशन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। युवाओं के नाम संदेशः उत्तराखण्ड के युवाओं से मेरा यही निवेदन है कि आलस्य को त्यागकर जो भी काम हमारे हाथ में है उसे ईमानदारी से तुरन्त करें। अपने चारों तरपफ स्वच्छता बनाये रक्खें, मन को प्रसन्नचित्त रखें व दीर्घायु रहकर जनसेवा करें।

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सैयद अली

1975 में लक्ष्मण अवार्ड तथा सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी (उ.प्र.) का पुरस्कार प्राप्त किया। 1976 में मॉन्ट्रियल ओलम्पिक में भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे। 1978 में विश्वकप (अर्जेंटाइना) में भारतीय टीम के सदस्य। मास्को में प्री ओलम्पिक गोल्ड मेडल विजेता। 1981 में विश्वकप (बम्बई) की भारतीय टीम में शामिल। 1987 के एशियाई खेलों (दिल्ली) में रजत पदक। 1983 में मेलबोर्न (आस्ट्रेलिया) में आयोजित एसान्डा विश्व कप में रजत पदक। इसके अलावा अनेक छोटे-बड़े पुरस्कार प्राप्त हुए।

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दयानन्द अनन्त

1958 में पहली कहानी ‘गुइयाँ गाले न गले’ के ‘कहानी’ में छपने के साथ रचनात्मक यात्रा शुरु। अब तक 2 कहानी संग्रह, 3 उपन्यास, 5 टीवी नाटक, अनेक हास्य व्यंग्य तथा अनेक अनुवाद प्रकाशित। रूसी दूतावास में जन सम्पर्क अधिकारी भी रहे और फिर स्वतंत्र रचनाकार के रुप में ‘पर्वतीय टाइम्स’ के संस्थापक- संपादक बने। यह पत्र 1980 से 1989 तक प्रकाशित हुआ था। वर्तमान में भी यह प्रकाशित हो रहा है।

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लाल सिंह अधिकारी

विदेश में कार्य करते हुए नौ देशों में काम किया। तंजानिया के काउन्सिलर जनरल पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वास्थ्य लाभ हेतु अमरीका जाना हुआ। वहाँ जाकर उत्तरांचल एसोसिएशन ऑफ नॉर्थ अमरीका की स्थापना की ताकि प्रवासी उत्तराखण्डी अपनी जड़ों से जुड़ें। अतीव सफलता मिली। 350 से अधिक परिवारों को जोड़ा और यू.ए.एन.ए. आज अपनी जड़ों को किसी प्रकार सिंचित करे, यह प्रयास जारी है। बीच-बीच में पहाड़ लौट कर गढ़वाल, कुमाऊँ विश्वविद्यालय के शिक्षाविदों तथा विद्यार्थियों से सम्पर्क कर प्रवासियों द्वारा किस प्रकार मदद दी जा सके, इस पर चिन्तन। सूचना प्रौद्योगिकी का उत्तराखण्ड में विकास का सपना सच करने की चेष्ठा।

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धर्म पाल अग्रवाल

1958 में एक्सप्लोरेशन एसिस्टेंट के रूप में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में काम करना शुरू किया। नौकरी व अध्ययन जारी रखते हुए 1972 में राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, अहमदाबाद में असिस्टेंट प्रोपफेसर नियुक्त हुए और 1993 में विभाग के चेयरमैन पद तक पहुंचे। उच्च कोटि के शोधकार्य के कारण आप अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरातत्वविद् माने जाते हैं। अब तक अनेक पुरस्कारों व पदकों से नवाजे जा चुके हैं। विज्ञान सम्बंधी अनेक पत्रिकाओं से सम्बद्ध हैं। अमेरिका व जापान सहित विश्व के कई देशों के विश्वविद्यालयों में शोधवृत्ति प्राप्त की और व्याख्यान दिए। अब तक लगभग 230 शोधपत्र तथा 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सेवानिवृत्ति के बाद आप पुनः अपने पैतृक नगर अल्मोड़ा वापस लौट आए और अब यहीं रह कर उत्तराखण्ड के उत्थान के लिए सक्रिय हैं।

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