मेहरबान सिंह नेगी

1962 में एडवोकेट के रूप में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। उत्तर प्रदेश सरकार के स्टैंडिंग काउन्सिल के रूप में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में नियुक्ति। 1983 में उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायाधीश बनने के प्रस्ताव को ठुकराया। 2002 में उत्तराखण्ड सरकार के एडवोकेट जनरल के रूप में नियुक्त।

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भगवत सिंह नेगी

स्कूल-कालेज में हमेशा प्रथम स्थान। कठिन परिश्रम और काम के लिए समर्पण की भावना के कारण भारत सरकार की नवरत्न कम्पनी गेल इंडिया लिमिटेड में निदेशक (योजना) के पद तक पहुँचा। अनेक अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों, कार्यशालाओं आदि में भारत का प्रतिनिधित्व किया। व्यापक विदेश भ्रमण और सब जगह भारत की सांस्कृतिक समृद्धि का संदेश पहुँचाया।

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प्रेम सिंह नेगी

हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं, जैसे धर्मयुग, सारिका, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, कहानी, रविवार, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक अमर उजाला आदि में लगभग पांच दर्जन कहानियाँ प्रकाशित। साप्ताहिक हिन्दुस्तान द्वारा आयोजित सर्वभाषा कहानी प्रतियोगिता में ‘अठमंगली’ कहानी को पुरस्कार। अब तक चार कहानी संग्रह और एक उपन्यास छप चुके हैं। कुछ कहानियाँ अन्य प्रादेशिक भाषाओं में भी प्रकाशित। नेशनल बुक ट्रस्ट से बाल रचनाओं का नव साक्षरों के लिए प्रकाशन। ‘युगमंच’ तथा ‘उमंग’ संस्थाओं द्वारा कुछ कहानियों का मंचन। कुछ संस्थाओं द्वारा साहित्य सेवा के लिए सम्मानित।

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परिमार्जन नेगी

दिल्ली राज्य शतरंज चैंपियनशिप, 1999 व 2000 में सात वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम। दिल्ली राज्य तीव्र गति शतरंज चैंपियनशिप, 1999 से 2000 तक 12 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम। स्मिथ एण्ड विलियम्सन ब्रिटिश शतरंज चैंपियनशिप में वर्ष 2000 में 8 वर्ष से कम में सर्वप्रथम। 2001 में 9 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम। 8 एवं 10 वर्ष से कम आयु वर्ग में द्वितीय तथा 11 वर्ष से कम आयु वर्ग में तृतीय स्थान। ऑल इंडिया ओपन रेटिंग चेस चैंपियनशिप। 2001 में 10 वर्ष से कम आयु वर्ग में प्रथम। नेशनल चेस टूर्नामेंट, 2000 में 7 वर्ष से कम आयु वर्ग में रजत पदक। डीएसए-स्टूडेंट्स (मेडलिस्ट) चेस चैंपियनशिप, 2000 में प्रथम। ईटी एण्ड टी नेशनल ओपन चेस चैंपियनशिप, 2000 में उत्कृष्ट प्रदर्शन पुरस्कार। एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप, 2001 में आठवां स्थान। एशियन यूथ चेस चैम्पियनशिप (ईरान) 2002 में 10 वर्ष से कम वर्ग में स्वर्ण पदक। जी न्यूज, इन टाइम, दूरदर्शन आदि टीवी चैनलों में साक्षात्कार प्रसारित तथा अनेक पत्र-पत्रिकाओं में विस्तृत रिपोर्ताज।

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नरेन्द्र सिंह नेगी

उत्तराखण्डी लोक संगीत के सिरमौर।1974 से गढ़वाली लोकगीत/स्वरचित गीत गाने प्रारम्भ किए। 1978 से आकाशवाणी लखनऊ एवं नजीबाबाद के लिए गढ़वाली गीतों का गायन। दिल्ली व अल्मोड़ा केन्द्रों से भी गीतों का प्रसारण। 1982 से अब तक 26 ऑडियो कैसेट रिलीज। पारम्परिक लोक गाथाओं ;‘चक्रव्यूह भारत’ व ‘नौरता मण्डाण’ तथा मांगल गीतों -हल्दी हाथ, भाग 1 व 2 के ऑडियो संकलनों का संगीत-निर्देशन, संयोजन। 5 गढ़वाली फीचर फिल्मों तथा एक वीडियो फिल्म में संगीत-निर्देशन व गायन। उत्तराखण्ड व भारत के अनेक शहरों में मंचीय कार्यक्रमों की प्रस्तुति। अब तक तीन स्वरचित गढ़वाली गीत संग्रह ‘खुचकण्डी’, ‘गाण्यूं की गंगा स्याण्यू का समोदर’ और ‘मुट्ट बोटीकि रख’ प्रकाशित।

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धन सिंह नेगी

नया कोई विशेष नहीं। जिसने मुझे ऊँचाई तक पहुँचाया वह था मेरा कार्य। नौर्वे में एक भारतीय रेस्टोरेंट (महाराजा होटल) से मुख्य सैफ के पद से अवकाश प्राप्त हुआ। उपलब्धि यह भी है कि मैं नौर्वे में भारतीय सांस्कृतिक परम्परा तथा भगवान के साथ रहता हूँ। मुझे नौर्वे की एक होनहार फुटबाल खिलाड़ी बीना नेगी के पिता होने पर गर्व है। बीना राष्ट्रीय टीम के खेलती है।

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जीत सिंह नेगी

पहले-पहल हिंदी में गेय-गीतों की रचना की। बाद में उत्तराखण्ड की संस्कृति को आधार बना कर गीत लिखे और उनकी धुनें बना कर गाईं। ‘तू ह्नील वीरा…’ अत्यन्त लोकप्रिय गीत रहा। नेशनल ग्रामोफोन कम्पनी, बम्बई में कुछ रिकार्ड तैयार किए तथा बाद में हिज मास्टर्स वाइस एण्ड कोलम्बिया ग्रामोफोन कम्पनी द्वारा गढ़वाली गीतों के रिकार्ड बने तथा गढ़वाली गीतों के टेप तैयार किये। आकाशवाणी व दूरदर्शन के लिए उत्तराखण्ड की संस्कृति, रीति-रिवाजों, समस्याओं व जीवन पर केन्द्रित गीत गाए और आज भी यह क्रम जारी है। ‘भारीमल’ (हिन्दी-गढ़वाली, 1950), ‘मलेथा की कूल’ –1974 (संवाद रिकार्डेड थे) और ‘रामी बौराणी’- बैले, जिसका वे फिल्मांकन करना 2चाहते थे- उनकी ऐतिहासिक रचनाएँ हैं। सरकारी, गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

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