दया किशोर आर्य

दया किशोर आर्य (Daya Kishore Arya)

(माताः श्रीमती मालती देवी, पिताः स्व. श्री केशीराम)

जन्मतिथि : 14 नवम्बर 1937

जन्म स्थान : दुर्गापुर

पैतृक गाँव : दुर्गापुर, तल्लीताल जिला : नैनीताल

वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 2 पुत्रियाँ

शिक्षा : बी.ए., एल.एल.बी.

राजकीय बेसिक प्राइमरी स्कूल तल्लीताल, नैनीताल गवर्नमेंट हाई स्कूल, इंटर कालेज नैनीताल 1957 डी.एस.बी. गवर्नमेंट कालेज, नैनीताल से बी.ए. 1959 में लखनऊ विश्वविद्यालय से एलएल.बी.1960 में आई.पी.एस. में प्रवेश व अनेकों व्यावसायकि कोर्स किए।सेवानिवृत्ति के पश्चात 1996 में विश्वविख्यात International Law Institute (Italy) से International Humanitarian Law पर विशिष्ट कोर्स किया।1997 में बैंकाक और इसी वर्ष जिनेवा में मानव अधिकार पर विशिष्ट कोर्स किए।

जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1959 में नैनीताल में मित्र के साथ घूमते हुए ICS में जाने की डींग हाँकते समय एक बुजुर्ग द्वारा यह कहे जाने पर कि ICS अब समाप्त हो गया है, IAS हो गया है, बहुत शर्मिंदगी और झेंप ने एक दृढ़ निश्चय को जन्म दिया।अगली पढ़ाई बाहर करने व Civil Services की तैयारी के विचार को साकार किया।

प्रमुख उपलब्धियां : बड़े कमजोर हालात में छात्रावृत्ति के सहारे पढ़कर IPS में निकल जाने को मैं उपलब्ध् मानूंगा।ईमानदारी, कर्मठता, लगनशीलता व विनम्रता का सहारा लेकर जहाँ भी रहा सफल ही रहा।राजनीतिक प्रश्रय या अन्य प्रकार की बैसाखियों के बिना पहला IPS निदेशक बी.एस.एफ. अकादमी, महानिदेशक (पुलिस) मध्यप्रदेश, महानिदेशक आई.टी.बी.पी., महानिदेशक एन.एस.जी. एवं अंततः भारत के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल बी.एस.एफ. का महानिदेशक बन सका।सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल उ.प्र. का सलाहकार रहा।पर्वतारोहण, एडवेंचर वाटर स्पोर्टस, पर्यावरण व युवा कार्यों से आज भी प्रणेता के रूप में सम्बद्ध हूँ।

युवाओं के नाम संदेशः अपने सीमित दायरे से निकल कर अवसरों की तलाश व आत्मविश्वास के साथ, लगन, निष्ठा व एकाग्रता से लक्ष्य प्राप्ति की धुन ही प्रतिफल देगी।हालांकि शास्त्रों में बाहर जाकर ही शिक्षा व धन अर्जन का संदेश है पर आज की परिस्थिति में जब अपना ही राज्य है, अवसरों को अपने अनुकूल न लेना हीन विचार व भावना का द्योतक होगा। हक से मांगो जो तुम्हारा है और हक से पाओ- यही मेरा संदेश है।

विशेषज्ञता : पुलिस प्रशासन, सीमा सुरक्षा, कानून, साहसिक खेल।

 

नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।

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