अरुण प्रकाश ढौंडियाल (Arun Prakash Dhondhiyal)
(माताः श्रीमती राजेश्वरी देवी, पिताः स्व. रामप्रसाद ढौंडियाल)
जन्मतिथि : 5 नवम्बर 1948
जन्म स्थान : बलमणा (बनगड़स्यूं)
पैतृक गाँव : डुमलोट (बंगारस्यूं) जिला : गढ़वाल
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 3 पुत्र
शिक्षा : पीएच.डी., एम.ए. (हिन्दी, इतिहास)
प्राथमिक शिक्षा- आ.वि. बडियार गाँव- पैनो (गढ़वाल)
हाईस्कूल/इण्टर- इण्टर कालेज, पोखड़ा
बी.ए.- डी.ए.वी. कालेज, देहरादून
बी.एड.- कानपुर विश्वविद्यालय
एम.ए. (हिन्दी व इतिहास)- गढ़वाल विश्वविद्यालय
एम.एड.- मेरठ विश्वविद्यालय
पीएच.डी.- मणिपुर विश्वविद्यालय
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः संघ लोक सेवा आयोग द्वारा 1995 में प्रधानाचार्य के पद के लिए चयनित होते ही जीवन की दिशा बदली। लेखन तो बहुत पहले से ही चल रहा था।
प्रमुख उपलब्धियां : अब तक एक आलोचना ग्रंथ, तीन उपन्यास, दो कहानी संग्रह व एक कविता संग्रह प्रकाशित। कानपुर से प्रकाशित पत्रिका ‘कोमा’ में सहयोगी संपादक। ‘स्वतंत्रता संग्राम में उत्तराखण्ड का योगदान’ स्मारिका के प्रधन संपादक। एन.सी.ई.आर.टी. में कई वर्षों तक रिसोर्स परसन। ‘अखिल भारतीय लघु पत्र-पत्रिका समन्वय मंच’ के महासचिव। ‘आंचलिक सेवा संस्थान’ के संस्थापक-संरक्षक। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।
युवाओं के नाम संदेशः हिन्दी मातृभाषा के लिए अंग्रेजी का इतना अधिक ज्ञान प्राप्त करो कि अंग्रेजी अपनी सलीब अपने आप ढोए (भारत के संदर्भ में)। अपनी धरती की माटी, पानी, पवन, उपज और आकर्षण को शक्ति, नकद उपज व पर्यटन में विकसित कर आर्थिक दशा को इस योग्य बनाइये कि पलायन शत प्रतिशत रुक जाय।
विशेषज्ञता : साहित्य, शिक्षा।
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।