जे.सी. पाठक (J.C.Pathak)
(माताः श्रीमती बसंती देवी पाठक, पिताः श्री आर.डी. पाठक)
आयु : 62 वर्ष जन्म स्थान : पठक्यूड़ा
पैतृक गाँव : धानन (पठक्यूड़ा)
जिला : अल्मोड़ा
वैवाहिक स्थिति : विवाहित बच्चे : 1 पुत्र, 3 पुत्रियाँ
शिक्षा : एम.एससी., एम.एड.
प्राथमिक शिक्षा- प्राइमरी पाठशाला द्योतोली (अल्मोड़ा)
हाईस्कूल- माध्यमिक विद्यालय, बेरीनाग (पिथौरागढ़)
बी.एससी., एम.एससी.- डी.एस.बी. कालेज, नैनीताल
बी.एड.- रीजनल कालेज ऑव एजुकेशन, अजमेर
एम.एड.- हिमाचल विश्वविद्यालय, शिमला
जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ः 1965 में एन.सी.ई.आर.टी. में प्रवेश। यहां आकर स्कूली शिक्षा और शैक्षिक प्रविधियों पर मेरी रुचि जगी।
प्रमुख उपलब्धियाँ : 1. राष्ट्रीय बाल भवन, नई दिल्ली में सहायक निदेशक की हैसियत से बच्चों की शिक्षा पर कार्य किया. 2. तैंतीस वर्षों तक केन्द्रीय विद्यालयों में स्नातकोत्तर आधार शिक्षक और प्रधानाचार्य की हैसियत से भारत के अनेक क्षेत्रों में कार्य किया. 3. विज्ञान और शिक्षाशास्त्र पर अनेक पुस्तकों तथा शोधपत्रों का लेखन. 4. कुमाऊँनी व हिन्दी में गीतों की रचना. 5. आकाशवाणी व दूरदर्शन से शिक्षा सम्बंधी वार्ताएं प्रसारित. 6. बी.बी.सी. के लिए शैक्षिक सामग्री का संकलन. 7. राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों, गोष्ठियों व कार्यशालाओं के लिए कार्य किया। दक्षिण दिल्ली के एक सम्मानित विद्यालय में प्रधानाचार्य एवं शैक्षिक सलाहकार के रूप में कार्यरत. साथ ही राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से एकेडेमिक फैसिलीटेटर के बतौर सम्बद्ध। मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार द्वारा युनाइटेड चिल्ड्रन मोमेन्ट के अन्तर्गत राष्ट्रीय एकता एवं शिक्षण के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए 2002 अवार्ड से सम्मानित।
युवाओं के नाम संदेशः पर्वतीय क्षेत्र के निवासी अपनी विनम्रता, सादगी, लगन और परिश्रम के लिए जाने जाते रहे हैं। इन्हीं मूल्यों को बनाए रखने का प्रयास करें।
विशेषज्ञता : शिक्षा, बाल शिक्षा, गीतकार.
नोट : यह जानकारी श्री चंदन डांगी जी द्वारा लिखित पुस्तक उत्तराखंड की प्रतिभायें (प्रथम संस्करण-2003) से ली गयी है।