घर घरुं आज है ग्ये चहा चूसा-चूस

गोपाल बाबू गोस्वामी ने तरह तरह के गाने गाये हैं। अपने गानों में उन्होंने कई बार सामाजिक विषयों को भी छुआ है। उनका ऐसा ही एक गाना है “घर घरुं आज है ग्ये चहा चूसा-चूस” जिसमें उन्होनें पहाडों में चाय पीने के अमल (लत) के बारे में व्यंगात्मक  टिप्पणी की है। इस गाने में उन्होंने उस समय हो रहे सामाजिक परिवर्तनों का जिक्र भी किया है जैसे दूध के उत्पादन का कम, नये लोगों का कृषि कार्यों से मुँह मोड़कर नौकरी के पीछे भागना, टीवी का आगमन और लोगों का उसमें समय नष्ट करना आदि। यहाँ एक बात विचार करने वाली है कि उस समय जब केवल चाय की लत से परेशान होकर गोपाल बाबू ऐसा गाना गाते हैं तो आज की परिस्थिति में जब उत्तराखंड के पहाड़ों में शराब की बढ़ती लत से लोग परेशान है और घर-बार उजड़ रहे हैं तो वह किस तरह का गाना गाते।

भावार्थ : अरे समय तेरी बलाई लेते हैं, आज दूध खो गया है, घी खो गया है, दही, छांछ-मक्खन सब गायब हो गया है। दूध-दही के बर्तन पुराने हो गये हैं। गाय-भैसों को कसाई ले जा रहे हैं (काटने के लिये), हल जोतने के लिये काणे (एक आँख के) बैल ही रह गये हैं, लगता है इस पहाड़ को गाय-भैसों का श्राप ही लग गया है। पहाड़ में सोयाबीन (पैकेट वाला दूध) और पाउडर वाला दूध चल गया, असली दूध को अब कोई नहीं पूछता। गोठ (गाय-भैसों के रहने का स्थान) खाली हो गये हैं और घर घर चाय की सुड़कियां ली जा रही हैं। दही जमाने के बर्तन (ठेकी), छांछ बनाने के बर्तनों में चूहे-बिल्ली बच्चे पैदा कर रहे हैं और घर घर चाय की सुड़कियां ली जा रही हैं। वो देखो वो सुन्दर दुर्गा को…. कैसे गुड़ के साथ सुड़ सुड़ चाय पी रही है और बुड़ज्यू (बूड़ा व्यक्ति) को तो देखो आँख बन्द कर कैसे घूंट लगा रहे हैं.. और बूड़ी आमा (दादी) वो भी चाय पीने में मस्त हैं… इसीलिये तो चेहरे कैसे सूख गये हैं..क्योंकि घर घर चाय की सुड़कियां ली जा रही हैं। थोड़ा बहुत पढ़-लिख कर आजकल के जवान लड़के-लड़कियां कहते हैं कि हमें घर की जिम्मेदारी नहीं संभालनी…. सब नौकरी के पीछे पड़े हैं, शानो-शौकत और व्यसनों के आदी ये बच्चे बिगड़ गये हैं…..सब काम धाम छोड़ कर टीवी के सामने बैठे रहते हैं, अब तो गांव गांव टीवी पहुंच गया है (तब शायद घर घर नहीं पहुंचा होगा)। ना जाने कैसा तो समय आ गया है और ना जाने कैसा समय आने वाला है …उफ.. दही जमाने के बर्तन (ठेकी), छांछ बनाने के बर्तनों में चूहे-बिल्ली बच्चे पैदा कर रहे हैं और घर घर चाय की सुड़कियां ली जा रही हैं।

गीत के बोल देवनागिरी में

बखता तेरी बलै  ल्ह्यून

दूध हरायो, घ्यूं हरायो, छाँ हराई नौणी, दूध हरायो, घ्यूं हरायो, छाँ हराई नौणी
दै हरायो, पराई हराई, भद्याउ है पुरणी
गोर भैंसी कसाई ल्ही जांछो, हौ बै काणि बल्दा, गोर भैस्यूं को श्राप लैगो यो पहाड़ मजा
सोयाबीन  पौडर   दूधा चली गो पहाड़ा, बाँज है गई भैंस्यूँ थाना, गोरु का गोठ्येड़ा

chhanch-bananey-ka-bartan-theki दही जमाने का बर्तन ठेकी

कि हैरो आजकल सुणौ
ओ घर घरुं आज है ग्ये चहा चूसा-चूस, ओ घर घरुं आज है ग्ये चहा चूसा-चूस
डॉकुआ पुसुली ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस, डॉकुआ पुसुली ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस
हे घर घरुं आज देखो  चहा चूसा-चूस, हे घर घरुं आज देखो  चहा चूसा-चूस

हे…. होंसिया…, चहा की घुटुकी मारी दुर्गा रुपसी, चहा की.. घुटुक मारी..दुर्गा रुपसी
चहा का दगड़ लगें गुड़े की कटुकी
आँख  बुजी बुड़  मारूं चहा की सुडुकी, आँख  बुजी बुड़  मारूं चहा की सुडुकी
जूठी चहा आपुण बुड़  की डूबी रे छे बुड़ी
ओ दूध हरायो नान्तिना लिजी, ओ चहा  चूसा-चूस
ऐ  सुखी रे मुखड़ी देखो चहा  चूसा-चूस
ओ आजकल घरुं है ग्ये चहा चूसा-चूस
डॉकुआ पुसुली ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस, डॉकुआ बिराई ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस
घर घरुं आज देखो चहा चूसा-चूस, घर घरुं आज देखो चहा चूसा-चूस

हे …नान्तिना बीच..,  घर घरुं देखो आज चहा चूसा-चूस
डॉकुआ बिराई ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस
दस पाँचा पड़ी च्याल-ब्वारी कूनी हम ज़िम्दारी नी कूना,सुण ल्यो भैय्या

दस पाँचा पड़ी च्याल-ब्वारी कूनी हम ज़िम्दारी नी कूना
च्येली च्येला पगली  रईं नौकरी पछिला, फैशन व्यसनु माजा आजकल जोरा
बिगड़ लांगी गई आजकल लौंडा, टीवी ऐ गे पहाड़ मे, अब गौनु गौनु माजा
टीवी का सामणि बैठी, ताणि रूनी आँखा, टीवी का सामणि बैठी, ताणि रूनी आँखा

रे घर घरुं आज देखो चहा चूसा-चूस, रे घर घरुं आज देखो चहा चूसा-चूस
ऐ  डॉकुआ लाछुली  ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस, ऐ  डॉकुआ पुसुली  ब्ये रे, ठ्येकी भानी मूस

ऐ बखता तू कस देखो रे, देख्नुंलो जाणी कस, ऐ बखता तू कस देखो रे, देख्नुला जाणी कस
ऐ  डॉकुआ पुसुली  ब्ये गे, ठ्येकी भानी मूस , ऐ  डॉकुआ पुसुली  ब्ये गे, ठ्येकी भानी मूस
ऐ  डॉकुआ पुसुली  ब्ये गे, ठ्येकी भानी मूस, ऐ  डॉकुआ बिरायी   ब्ये गे, ठ्येकी भानी मूस
यो  ठ्येकी भानी मूस, यो  ठ्येकी भानी मूस, यो  ठ्येकी भानी मूस,
यो  ठ्येकी भानी मूस, यो  ठ्येकी भानी मूस, यो  ठ्येकी भानी मूस
यो  ठ्येकी भानी मूस

गीत : [audio:aaj-kal-ghar-ghar-chaha-choosa-chus-gopal-babu-goswami.mp3]

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Lyrics of the song “ Aaj Kal Ghar Ghar Me haigey Chaha Choosa Chus”

bakhata teri balai lhyoon

doodh harayo, ghyoon harayo, chhan haraee nauni, doodh harayo, ghyoon harayo, chhan haraee nauni
dai harayo, paraee haraee, bhadyau hai purani
gor bhainsi kasaee lhi janchho, hau bai kani balda, gor bhaisyoon ko shrap laigo yo pahad maja
soyabin paudar doodha chali go pahada, banj hai gaee bhainsyoon thana, goru ka gothyeda

ki hairo aajakal suno
o ghar gharun aaj hai gye chaha choosa-choos, o ghar gharun aaj hai gye chaha choosa-choos
dokuaa pusuli bye re, thyekee bhani moos, dokuaa pusuli bye re, thyekee bhani moos
he ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos, he ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos

he…. honsiya…, chaha kee ghutukee mari durga rupasi, chaha kee.. ghutuk mari..durga rupasi
chaha ka dagad lagen gude kee katukee
aankh buji bud maroon chaha kee sudukee, aankh buji bud maroon chaha kee sudukee
joothi chaha aapun bud kee doobi re chhe budi
o doodh harayo nantina liji, o chaha choosa-choos
ai sukhi re mukhadi dekho chaha choosa-choos
o aajakal gharun hai gye chaha choosa-choos
dokuaa pusuli bye re, thyekee bhani moos, dokuaa biraee bye re, thyekee bhani moos
ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos, ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos

he …nantina bich.., ghar gharun dekho aaj chaha choosa-choos
dokuaa biraee bye re, thyekee bhani moos
das pancha padi chyal-bvari kooni ham zimdari ni koona,sun lyo bhaiyya

das pancha padi chyal-bvari kooni ham zimdari ni koona
chyeli chyela pagali raeen naukari pachhila, faishan vyasanu maja aajakal jora
bigad langi gaee aajakal launda, tivi ai ge pahad me, ab gaunu gaunu maja
tivi ka samani baithi, tani rooni aankha, tivi ka samani baithi, tani rooni aankha

re ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos, re ghar gharun aaj dekho chaha choosa-choos
ai dokuaa lachhuli bye re, thyekee bhani moos, ai dokuaa pusuli bye re, thyekee bhani moos

ai bakhata too kas dekho re, dekhnunlo jani kas, ai bakhata too kas dekho re, dekhnula jani kas
ai dokuaa pusuli bye ge, thyekee bhani moos , ai dokuaa pusuli bye ge, thyekee bhani moos
ai dokuaa pusuli bye ge, thyekee bhani moos, ai dokuaa birayi bye ge, thyekee bhani moos
yo thyekee bhani moos, yo thyekee bhani moos, yo thyekee bhani moos,
yo thyekee bhani moos, yo thyekee bhani moos, yo thyekee bhani moos
yo thyekee bhani moos

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Photo : Rajen , Rafting Love

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3 Thoughts to “घर घरुं आज है ग्ये चहा चूसा-चूस”

  1. उत्तराखण्ड में पहले चाय पीने का प्रचलन नहीं था, मेरे पिताजी ने बताया कि ५०-६० के दशक में ही हमारे घरों में चाय आई और छा गई। इससे पहले कोई मेहमान घर पर आता था तो उसका स्वागत दूध-दही से होता था। अधिकांश पुरुष मेहमानों का स्वागत तम्बाकू पिलाकर किया जाता था। हर घर में तम्बाकू की चिलम अनिवार्यतः होती ही थी। जिस व्यक्ति के घर की चिलम हमेशा भरी हो और फरसी (जिसमें तम्बाकू रखी जाती है) बड़ी हो, उसे ही संपन्नता का प्रतीक माना जाता था। कहा भी जाता था कि "बाराबीसी को हर सिंह जिमदार खूब डबलन वाल छ हो, हर बखत फरसी भरि रूंछी" तम्बाकू बोई भी जाती थी और टनकपुर की मंडियों से खरीदी भी जाती थी। लेकिन जैसे ही चाय आई, इसने बैठको में हुक्के को बंद कर चाय की चूसा-चूसी बढ़ा दी।

    गोपाल दा का यह गाना शायद उस प्रथा के खत्म होने पर ही बना हो। अब तो चाय का इतना प्रभाव हो चुका है कि लोग कहते हैं कि "बहुते कणिया छन हो, चहा पिछा ले नै क्यो"

  2. Hello sir,

    My Name if Kailash Arya from Rohtak – Haryana. I am kumauni and belongs to Basot – Bhikyasain – RamNagar Uttaranchal. All the singers are very excellent. Sir i want all songs sung by Late Sh. Gopal Babu Gosawami. Kindly provide the same. I will be thankful to you and your cooperative team. This site is very useful, please keep updating.

    Thanks

    With regards

    Kailash

  3. Risky Pathak

    Yes i agree with ghingaru. Chaha(Tea) reached in Uttarakhand Houses after 1930's. I think reason can be wide tea plantation enforced by britishers at that time in Kausani, Chaukori etc.

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