हुड़क्या बौल कृषि गीतों का सबसे प्रमुख प्रकार है। यह गीत मुख्यतः यह रोपाई के समय गाये जाते हैं। “बौल” का शाब्दिक अर्थ है श्रम,मेहनत। हुड़्के के साथ श्रम करने को हुड़क्या बौल या हुड़की बौल नाम दिया गया है। सामुहिक रूप से खेत में परिश्रम करते हुए लोगों के काम में सरसता स्फूर्ति तथा उमंग का संचार करने का यह अत्यंत सुन्दर माध्यम है। इस कृषि गीत में एक व्यक्ति हाथ में हुड़का लेकर उसे बजाते हुई गीत गाता है। इस व्यक्ति को हुड़किया कहा जाता है। हुड़के की…
Read MoreAuthor: श्री पंकज सिंह महर जी
०१ अक्टूबर, १९७८ को देवलथल, जनपद पिथौरागढ़ में जन्म, इण्टर तक की शिक्षा देवलथल से प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिये १९९४ में लखनऊ गये और वहाँ से बी.क़ॉम, एम कॉम व कंप्यूटर में डिप्लोमा किया,शार्टहैण्ड और टाईपिंग सीखी
वर्ष २००२ से उत्तराखण्ड विधान सभा सचिवालय में कार्यरत। प्राम्भ से ही कई सामाजिक सांस्कृतिक राजनीतिक गतिविधियों में लिप्त रहे। लखनऊ में पंतनगर सांस्कृतिक समिति और पर्वतीय महापरिषद में भी रहे। अपनी धरती उत्तराखंड से जुड़े हुए किसी भी कार्यक्रम मे भाग लेने को हमेशा तत्पर।
वर्तमान में मेरा पहाड़ डॉट कॉम के एक प्रमुख कर्ता-धर्ता।
उत्तराखंड में परिसीमन- कुछ तथ्य कुछ परेशानियां
लेखक- पंकज महर उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में परिसीमन का मुद्दा बारबार उठता रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि उत्तराखंड के सामने आज दो प्रमुख मुद्दे हैं पहला है गैरसैण को स्थायी राजधानी बनाने का मुद्दा और दूसरा है परिसीमन। परिसीमन का मुद्दा हालाँकि देश के अनेक हिस्सों में सरदर्द बना हुआ है और कई राजनीतिक पार्टियां समय समय पर इसका विरोध करती रही हैं लेकिन उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य़ में परिसीमन का मुद्दा और भी गंभीर हो जाता है क्योंकि इससे उत्तराखंड बनने के पीछे के विकास संबंधी जो…
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