लोकमान एस. पालनी

प्रवक्ता, कुमाऊँ विश्वविद्यालयऋ पोस्ट डाक्टोरल फैलो एवं फैकल्टी मेम्बर, आस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी, आस्ट्रेलिया; संस्थापक अध्यक्ष, बायोटैक्नोलॉजी डिविजन, सी.एस.आई.आर. कॉम्प्लेक्स, पालमपुर (हि.प्र.) संस्थापक अध्यक्ष, इनवायरनमेंटल फिजियोलॉजी एण्ड बायोटेक्नोलॉजी, प्रभारी निदेशक तथा निदेशक, गो.ब. पन्त हिमालयी पर्यावरण एवं विकास संस्थान, कोसी (अल्मोड़ा)

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ललित पाण्डे

उत्तराखण्ड सेवानिधि तथा इसके पर्यावरण शिक्षा संस्थान के माध्यम से उत्तराखण्ड में शिक्षा, पर्यावरण, महिला सशक्तीकरण एवं आंचलिक विकास के विभिन्न पक्षों पर कार्य। ग्रामीण स्वास्थ्य तथा संसाधनों का विश्लेषण भी करने का प्रयास किया। अनेक संस्थाओं को सेवानिधि के माध्यम से आर्थिक तथा तकनीकी सहयोग देने में सतत् सक्रिय। उत्तराखण्ड के पहले आधुनिक एटलस को प्रकाशित करने के साथ अनेक पुस्तकों का प्रकाशन। सम्प्रति- उत्तराखण्ड सेवा निधि पर्यावरण शिक्षा संस्थान अल्मोड़ा के निदेशक।

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त्रिलोक सिंह पपोला

लखनऊ वि.वि., सरदार पटेल इंस्टटीट्यूट ऑव इकोनामिक एण्ड सोशल रिसर्च अहमदाबाद तथा बम्बई विश्वविद्यालय में शोध तथा शिक्षण कार्य। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑव मैनेजमेंट अहमदाबाद में प्रोफेसर। 1977 से 1987 तक गिरि इंस्टीट्यूट ऑव डवलपमेंट स्टडीज, लखनऊ के संस्थापक निदेशक/प्रोफेसर। 1987 से 1995 तक योजना आयोग के वरिष्ठ परामर्शी तथा सलाहकार। 1995 से 2002 तक ICIMOD काठमाण्डू में माउण्टेन इंटरप्राइजेज एण्ड इंन्फ्रास्ट्रक्चर डिविजन के प्रमुख। सम्प्रति- इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डवलपमेंट, दिल्ली में प्रोफेसर। कैम्ब्रिज वि.वि. UNCTAD जिनेवा, ILO , UNDP, UNICEF,UNIDO आदि से भी सम्बन्धित रहे। अनेक चर्चित शोध पत्रों तथा पुस्तकों के लेखक और अनेक बार पुरस्कृत।

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श्री आनन्द सिंह नेगी

1969 में एस.एस.बी. में डैपूटेशन पर जाने से अनुभवों का विस्तार और अपने इलाके को जानने का तथा 1989 में कार्बेट नेशनल पार्क का डायरेक्टर बनने के बाद वन्य जीवों, उनके पर्यावरण तथा समाज से रिश्ते को गहराई से समझने का मौका मिलना।

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सुधांशु धूलिया

मानवाधिकार तथा पर्यावरण संरक्षण संस्थाओं से जुड़ना, उत्तराखण्ड आन्दोलन के दमन के समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रस्तुत विभिन्न याचिकाओं की तैयारी में योगदान देना। अनेक जनहित याचिकाओं की पैरवी करना। इस समय आप उत्तरांचल के अपर महा अधिवक्ता हैं।

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विक्रम चन्द ठाकुर

नेशनल मिनरल अवार्ड, भारत सरकार (1983-84)। फ़ैलो, भारतीय विज्ञान अकादमी। वाडिया इन्स्टीट्यूट, देहरादून के 12 वर्ष तक निदेशक इस दौरान संस्थान को शोध केन्द्र के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता व प्रसिद्धि दिलाई अंतर्राष्ट्रीय लिथोस्पफेयर कार्यक्रम में हिमालय समन्वय समिति के चेयरमैन (1992-96)। दून रत्न से सम्मानित।

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एच.एस. कप्रवान

यू.एन.डी.पी. में सलाहकार रहे। रक्षा अनुसंधान में अतिरिक्त निदेशक।युवाओं के नाम संदेशः उच्च शिक्षा ग्रहण करें। तथा अपने राज्य व देश का नाम रोशन करें।

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