हेमंत जोशी

पिछले 15 वर्षों से पत्रकारिता प्रशिक्षण के क्षेत्रों में अनेक नवीनतम विषयों पर कार्य। हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के विकास की वकालत और उसमें योगदान। रघुवीर सहाय के स्तंभ ‘अर्थात’ का संपादन। ‘पल-प्रतिपल’ पत्रिका के फ्रांसीसी साहित्य विशेषांक का संपादन। ‘महायुद्धों के आसपास’ छः फ्रांसीसी कवियों की कविताओं का अनुवाद और संकलन। पाल एल्युआर और लुई आरागों की कविताओं का ‘तनाव’ पत्रिका के लिए अनुवाद। अनेक समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में मौलिक कविताओं, लेख, समीक्षा का प्रकाशन। रेडियो और टीवी के अनेक कार्यक्रमों में योगदान।

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(श्रीमती) अज़रा खान ‘नूर’

उत्तरांचल प्रदेश की स्थापना हेतु जिस प्रकार शक्ति के साथ प्रयासरत होकर आप लोगों ने सपफलता प्राप्त की, उसी प्रकार हर क्षेत्र में इस प्रदेश के उन्नयन एवं समृद्धि हेतु अपनी ओर से भरसक प्रयत्न करते रहें। पर्वतीय अंचल के युवाओं के लिए प्रचलित शब्द ‘परिश्रमी’ को सार्थक करते हुए उद्योग, व्यापार, शिक्षा-संस्कृति, साहित्य, समाज सेवा, खेलकूद आदि क्षेत्रों में उपलब्धियां हासिल कर अपने राज्य को देश के बेहतरीन राज्य का दर्जा दिलाने का गौरव प्राप्त करें।

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डॉ. पानू खोलिया

तीन दशक से अधिक समय तक राजस्थान में उच्च शिक्षा तथा शिक्षा प्रशासन के क्षेत्र में कार्य किया। साहित्यिक लेखन भी निरन्तर चलता रहा। अब तक तीन उपन्यास तथा तीन कहानी संग्रहों के अलावा अनेक कहानियाँ प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित

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डॉ. प्रेमलाल ग्वाड़ी

तीस पुस्तकों का सृजन, गद्य, पद्य, कहानी एवं निबंध विधा में साहित्य सृजन।उत्तराखण्ड आन्दोलन में सहभागिता.सहस्राब्दि विश्व हिन्दी सम्मेलन, नई दिल्ली द्वारा राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दि सम्मान से सम्मानित।

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महाबीर प्रसाद गैरोला

1945-56 में टिहरी गढ़वाल राज्य के हाई कोर्ट में रीडर व रजिस्ट्रार के पद पर कार्य किया। त्यागपत्र देकर कानून की पढ़ाई करने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में दाखिला। बिना किसी प्रशिक्षण के जवाहरलाल नेहरू सहित अनेक प्रख्यात व्यक्तियों की प्रस्तर/प्लास्टर प्रतिमाएं बनाईं।अध्यापन के अतिरिक्त गढ़वाली, हिन्दी व अंग्रेजी में लेखन। अनेक उपन्यास, कविता, कहानी व निबंध संग्रह प्रकाशित।

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जीवन प्रकाश जोशी

रीडर, देशबंधु कालेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1970-1996।लेखक व उद्घोषक, आकाशवाणी दिल्ली, 1960-1970। प्रधान संपादक, सर्वहिताय, 1978-80। संस्थापक एवं संपादक, ‘संधान’ (पुस्तक पत्रिका), 1978-जारी।अब तक 26 कविता संग्रह, 2 उपन्यास, 20 आलोचना ग्रन्थ, एक कहानी तथा तीन सूक्ति ग्रन्थ प्रकाशित।

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दामोदर जोशी ‘देवांशु’

अध्यापन के साथ हिन्दी और कुमाउँनी में मौलिक सृजनात्मक अभिव्यक्ति की ओर उन्मुख। शैशवकालीन कुमाउँनी कविता संग्रह ‘कुदरत’, कुमाउँनी काव्य संग्रह ‘खाण’ (कुमाऊँ विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल) हिन्दी काव्य संग्रह (हेम रश्मि), कुमाउँनी विद्वानों के श्रेष्ठ गद्यों का संकलन ‘गद्यांजलि’ का संपादन, ‘किरमोई तराण’ (अल्मोड़ा में संकलित कविताएँ), एक कुमाउँनी और एक हिन्दी काव्य प्रकाशनाधीन। आकाशवाणी से विभिन्न लेख, कविताएँ, वार्ताएँ प्रसारित। शिक्षकों के संगठन में सक्रिय भागीदारी।

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