विपिन त्रिपाठी

1968-69 में हल्द्वानी में ‘युवजन मशाल’ पाक्षिक पत्रिका का प्रकाशन; नैनीताल की तराई में 1965-69 में भूमिहीन आंदोलन में सक्रिय, 1970 में नैनीताल में समाजवादी युवजन सभा का प्रदेश सम्मेलन का आयोजन व प्रथम जेल यात्रा, 1971 में द्वाराहाट से ‘द्रोणांचल प्रहरी’ पाक्षिक का प्रकाशन, वनों की लूट के विरुद्ध तथ्यात्मक समाचारों का प्रकाशन, स्टार पेपर मिल का कोप भाजन, पत्र के विरुद्ध प्रेस काउंसिल में मुकदमा, वन बचाओ आंदोलन की शुरूआत, 1974 में वनों की नीलामी के विरुद्ध अन्य साथियों के साथ दो बार प्रदर्शन व गिरफ्रतारी, आपातकाल में जून 1975 में प्रेस एक्ट की विभिन्न घाराओं व डी.आई.आर. में गिरफ्तारी, प्रेस सील, समाचार पत्र बन्द, अल्मोड़ा सहित 5 जेलों की यात्रा। उ.प्र. में सर्वाधिक 22 माह का सश्रम कारावास।

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तारा चन्द्र त्रिपाठी

अपने छात्रों से बहुत स्नेह- साहचर्य मिला और निरन्तर मिल रहा है। उनके साथ तथा अकेले भी उत्तराखण्ड के प्राचीन इतिहास की खोज में व्यापक पदयात्राओं से अपने अंचल को समझने का अवसर मिला। अनेक शोधपूर्ण लेखों के साथ एक पुस्तक ‘उत्तराखण्ड का ऐतिहासिक भूगोल’ तथा ‘ऑखिन देखी’ ;ललित निबन्ध एवं यात्रा संस्मरणद्ध प्रकाशित। ‘स्थान-नाम व्युत्पत्ति और ऐतिहासिकता’, तथा ‘सिरफिरों को’ (काव्य संकलन) प्रकाशनाधीन।

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इरशाद हुसैन

12 नवम्बर 70 को मुन्सिफ मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य भार ग्रहण। 16 जनवरी 78 को सिविल जज के रूप में नियुक्ति। 31 जुलाय 83 को उच्च न्यायिक सेवा में नियुक्ति। उत्तरांचल सरकार के न्यायिक व संसदीय मामलों के सचिव के रूप में नियुक्ति। जिला सत्र न्यायाधीश सहारनपुर के रूप में कार्य किया।

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डेसमण्ड ई हयेड

राष्ट्रपति द्वारा महावीर चक्र प्रदान। सेना में जनरल आफीसर पद प्राप्ति। सेना से सेवानिवृत्ति के बाद गृह मंत्रालय द्वारा मिजोरम में पुलिस महानिदेशक पद प्रदान।

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नन्द किशोर हटवाल

प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियां, कविताएं, लेख, फीचर, लघु- कथाएं, नाटक, बाल कथाएं, व्यंग्य व गढ़वाल की कई अनछुई लोक परम्पराओं पर लेखन और प्रकाशन, गढ़वाल के चांचरी नृत्यगीतों पर शोधकार्य तथा लोकगीतों, कथाओं, मांगल, जागर, रांसे, बगड्वाली, ढोल के ताल, रम्वाण, महाभारत आदि आडियो संग्रह, गढ़वाल की लोक संस्कृति पर 100 से अधिक रेखांकनों की रचना व प्रकाशन; लोक संस्कृति से सम्बद्ध तीन वीडियो फिल्मों का निर्माण, अनेक छोटे-बड़े पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित।

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श्रीकृष्ण सेमवाल

संस्कृत साहित्य के अधिकारिक लेखक, कुशल अध्यापक, सम्पादक और पत्रकार। उत्कृष्ट साहित्य सृजन के लिए सम्मानित एवं पुरस्कृत।1987 से दिल्ली संस्कृत अकादमी में सचिव पद पर कार्यरत। कई पत्र-पत्रिकाओं का अवैतनिक संपादन किया। कवि सम्मेलनों एवं संगोष्ठियों में कवि और वक्ता के रूप में आपकी अलग पहचान है।

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जयप्रकाश सेमवाल

उद्योग रत्न अवार्ड, लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, ग्रेड इंडियन अचीवर्स अवार्ड, इंटरनेशनल मैन आफ द इयर, मिलेनियम मेडल आफ आनर, दून रत्न अवार्ड। 14 राष्ट्रीय व 6 अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड से सम्मानित। अब तक 25 देशों की यात्राएं। विकसित देशों का भ्रमण पेपर टेक्नालॉजी एवं पर्यावरण में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त। आल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के फैलो। 5. अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व।

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